हैदराबाद 03 अप्रैल: आरक्योलोजीकल सर्वे आफ़ इंडिया ने चारमीनार से मतसला मंदिर को वाज़िह तौर पर गै़रक़ानूनी क़रार दिया है। इस तरह तारीख़ी आसार की हिफ़ाज़त उस महिकमा ने फ़िर्क़ा परस्तों के इस दावे को मुस्तर्द कर दिया है जिस में तारीख़ी हक़ायक़ को बालाए ताक़ रख कर अमन के दुश्मनों ने ग़ैर मजाज़ मंदिर को क़दीम और जायज़ क़रार दिया था।
शहर से ताल्लुक़ रखने वाले आर टी आई जहद कार एस कियु मसऊद ने इस सिलसिले में हकूमत-ए-हिन्द के महिकमा आसारे-ए-क़दीमा हैदराबाद सर्किल से रुजू होकर इस मंदिर, उस की ग़ैर मजाज़ तामीर / तौसी और ए एस आई की तरफ से तारीख़ी चारमीनार के तहफ़्फ़ुज़ के लिए इक़दामात के बारे में क़ानून हक़ मालूमात के तहत मालूमात हासिल की हैं।
एस कियु मसऊद ने महिकमा आसार क़दीमा से 6 सवालात के जवाबात तलब किए थे और महिकमा ने तमाम के इतमीनान बख़श जवाब दिए हैं ।
इन सवालात में एक सवाल इस तरह था चारमीनार से मुतसला मंदिर क़ानूनी है या गै़रक़ानूनी है (ए एस आई के क़वाइद-ओ-क़वानीन और रेकॉर्ड्स के मुताबिक़) इस बारे में मौक़िफ़ के बारे में मालूमात फ़राहम कीजिए।
इस अहम तरीन सवाल का जवाब देते हुए कहा गया है कि एनशेनट मानव मिनिट्स एंड आरक्योलोजीकल साईटस एंड रेमनस एक्ट (ए एम ए एस आर एक्ट) ए एम ए एस आर एक्ट 2010 (तरमीम और जवाज़) के मुताबिक़ चारमीनार जैसी तारीख़ी इमारत के जुनूब मशरिक़ी मीनार से मुत्तसिल मंदिर की तामीर को महिकमा आसार क़दीमा एक ग़ैर मजाज़ तामीर समझता है।
महिकमा के इस जवाब से बह आसानी नतीजा अख़ज़ किया जा सकता है कि चारमीनार से मुत्तसिल मंदिर ग़ैर मजाज़ और गैरकानूनी है। आर टी आई जहद कार ने ए एस आई रेकॉर्ड्स में दस्तयाब चारमीनार की तसावीर की नक़ूल फ़राहम करने की दरख़ास्त की थी जिस पर महिकमा आसारे-ए-क़दीमा ने उन्हें चारमीनार की तीन तसावीर की कापीयां फ़राहम की हैं इस में एक तस्वीर 1959 की है जहां चारमीनार के जुनूबी मशरिक़ी मीनार के क़रीब कोई मंदिर या तामीरी ढांचा मौजूद नहीं है जबके1980 की तस्वीर में एक छोटी मंदिर को दिखाया गया है।
2003 की तस्वीर में मंदिर पर आरिज़ी छत दिखाया गया है। इन तसावीर से जो महिकमा आसार क़दीमा के रेकॉर्ड्स में मौजूद हैं वाज़िह सबूत मिलता है कि कुछ दहिय पहले तक भी चारमीनार से मुत्तसिल किसी मंदिर का वजूद ही नहीं था।
महिकमा के रिकार्ड में मौजूद तसावीर के पेशे नज़र सर-ए-फ़हरिस्त अख़बारात में शाय तसावीर की असलीयत पर सवाल पर महिकमा ने इस तरह जवाब दिया कि ए एस आई हैदराबाद सर्किल में चारमीनार के महिकमा जाती सतह पर ली गईं तसावीर मौजूद हैं एसे में उन तसावीर की हक़ीक़त या असलीयत के बारे में कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।
आर टी आई जहदकार के इस सवाल पर कि आया चारमीनार से मुतसिला मंदिर के बारे में किसी गोशे से नुमाइंदगीयाँ वसूल हुई हैं और अगर वसूल हुई हूँ तो उन नुमाइंदगियों की कापीयां फ़राहम कीजिए?
महिकमा ने जवाब में बताया कि महिकमा को किसी भी गोशे से नुमाइंदगी वसूल नहीं हुई। दरख़ास्त गुज़ार के चारमीनार से मुताल्लिक़ फाईलों के मुशाहिदा-ओ-मुआइने के लिए वक़्त तलब करने पर महिकमा ने जवाब दिया कि किसी भी काम के दिन (सिवाए हफ़्ता / और आम तातीलात के) दफ़्तर का दौरा करके इन फाईलों का मुशाहिदा-ओ-मुताला करसकता है लेकिन इस के लिए पेशगी इतेला देनी ज़रूरी है।
क़ारईन ! वाज़िह रहे कि नवंबर 2012 में चारमीनार से मुतसिला मंदिर की ग़ैर मजाज़ तौसी पर सारे शहर में हालात कशीदा होगए थे और फिर्क परस्त इस का फ़ायदा उठाने ख़ाहां थे। शहर के अमन पसंद अवाम ने ग़ैरमामूली सब्र-ओ-तहम्मुल का मुज़ाहरा करके हैदराबाद फ़र्ख़ंदा बुनियाद की गंगा जमुनी तहज़ीब को नुक़्सान पहूँचाने से मुताल्लिक़ अश्रार के अज़ाइम को नाकाम बनादिया।
रोज़नामा हिन्दु ने इंतिहाई ज़िम्मे दाराना सहाफ़त का मुज़ाहरा करके रोज़नामा सियासत कलक्षण में मौजूद चारमीनार की वो क़दीम तस्वीर शाय करदी जिस में चारमीनार से मुत्तसिल किसी मंदिर या तामीरी ढांचा का वजूद ही नहीं था।
21 नवंबर 2012 की अपनी इशाअत में हिन्दु अख़बार ने क़दीम तस्वीर के साथ हालिया तस्वीर भी शाय की जिस में जुनूब मशरिक़ी मीनार से मुत्तसिल एक बहुत बड़ी मंदिर को दिखाया गया है। उस वक़्त हिन्दु चारमीनार जैसी तारीख़ी इमारत की तबाही पर अफ़सोस का इज़हार करते हुए कहा था कि एहितजाजी मुज़ाहिरे किए जा रहे हैं लेकिन हैदराबाद के तारीख़ी आसार की तबाही-ओ-बर्बादी की किसी को कोई फ़िक्र नहीं।
अख़बार हिन्दु ने हिन्दुस्तान के इस अज़ीम क़ौमी विरसा के तहफ़्फ़ुज़ में नाकामी के लिए आरक्योलोजीकल सर्वे आफ़ इंडिया के ओहदेदारों को ज़िम्मेदार क़रार देते हुए कहा था कि उन की मुजरिमाना ग़फ़लत के बाइस ही तारीख़ी आसार तबाही का शिकार होरहे हैं।
तक़रीबन 420 साला क़दीम चारमीनार के बारे में शहर की मुमताज़ शख़्सियतों का यही ख़्याल है कि महिकमा आसारे-ए-क़दीमा की ग़फ़लत-ओ-लापरवाही के नतीजे में वहां गै़रक़ानूनी मंदिर तामीर की गई और इस अर्सा के दौरान ए एस आई के ओहदेदार और हुकूमत ख़ामोश तमाशाई बने रहे।