क़ानून नाफ़िज़ करने वाली एजेंसियां मुआशरा में जराइम की रोक थाम के लिए असरी टेक्नोलॉजी का भरपूर इस्तेमाल करने लगी हैं। उन एजंसियों के ओहदेदार साइबर जराइम से निमटने के लिए जहां इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के माहिरीन का सहारा ले रहे हैं वहीं ट्रैफिक क़वाइद की ख़िलाफ़ वर्ज़ीयों, बरसरे आम क़त्लो ग़ारतगिरी की वारदातों, ए टी एम और बैंकों में नक़्बज़नी और सर्का के वाक़ियात और फ़िर्कावाराना फ़सादाद के रोक थाम के साथ साथ दहश्तगर्दी के वाक़ियात को रोकने के लिए असरी क्लोज़ सर्किट टी वी कैमरा ( सी सी टी वी कैमरे ) इस्तेमाल कर रहे हैं।
क़ारईन! मुआशरा को जराइम से पाक बनाने में असरी टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में कोई क़बाहत नहीं और पुलिस अमनो अमान और पुरसुकून माहौल के लिए जो भी एहतियाती इक़दामात करती है। इस के लिए उस की सताइश की जानी चाहीए लेकिन एहतियाती इक़दामात उस वक़्त ही कारगर और काबिले तारीफ़ होते हैं जब इस में दियानतदारी ख़ुलूस शामिल हों और इरादा नेक हो।
आप को ये जान कर हैरत होगी कि तारीख़ी चारमीनार और शाहअली बंडा का दरमियानी फ़ासिला बमुश्किल निस्फ़ किलोमीटर भी नहीं होगा। लेकिन शहर के इस छोटे से हिस्सा में जिस में तारीख़ी मक्का मस्जिद भी शामिल है एक नहीं दो नहीं बल्कि चालीस सी सी टी वी कैमरे नस्ब किए गए हैं। जिन में मक्का मस्जिद में 23 और चारमीनार ता शाहअली बंडा नस्ब करदा 17 सी सी टी वी कैमरे शामिल हैं।
इस तरह हमारे सरकारी इदारों और क़ानून नाफ़िज़ करने वाली एजेंसियों ने शहर के इस हिस्सा को एक तरह से सी सी टी वी कैमरों का ज़ोन बना दिया है। इस मंसूबे के लिए बताया जाता है कि 48.10 करोड़ रुपये मुख़तस किए गए हैं। जिन से बड़े शहरों बाशमोल हैदराबाद में सेफ्टी के इक़दामात को यक़ीनी बनाया जा सके। बहरहाल मुक़ामी अफ़राद बिलख़ुसूस मक्का मस्जिद के मोसल्लियों को चौकस रहना चाहीए क्यों कि उन पर कैमरों के साथ साथ चलते फिरते कैमरों की भी नज़र है।