चारा घोटाला: लालू प्रसाद की दरख्वास्त पर फैसला महफूज

सुप्रीम कोर्ट ने चारा घोटाले से मुतल्लिक़ एक मामले में राजद सादर लालू प्रसाद की दरख्वास्त पर फैसला महफूज रख लिया है। चीफ़ जज पी सदाशिवम, जज रंजना देसाई और रंजन गोगइ की बेंच ने मंगल को लालू प्रसाद की खुसुसि दरख्वास्त पर समाअत की। सीनियर वकील राम जेठमलानी और शांति भूषण और सीबीआइ की तरफ से सॉलिसीटर जेनरल मोहन पराशरण की मौजूदगी में समाअत पूरी हुई और बेंच ने फैसला महफूज रख लिया।
लालू प्रसाद ने रांची वाक़ेय सीबीआइ की खुसूसी अदालत में चारा घोटाले के आरसी 20ए /96 मामले की सुनवाई में मौजूदा जज प्रवास कुमार सिंह को बदलने के लिए दरख्वास्त दायर की थी। उनकी तरफ से राम जेठमलानी ने खंडपीठ के सामने कहा कि खुसूसी अदालत के जज का नजदीकी रिश्तेदार जदयू के लीडर और बिहार हुकूमत में वज़ीर पीके शाही से हैं।

ऐसे में उस अदालत से उन्हें न्याय मिलने की तौक़िह नहीं है। दूसरी तरफ इसी मामले में बहस करने आये शांति भूषण ने कहा कि इस तरह अगर जज बदले गये, तो यह अदालती अमल के लिए ठीक नहीं होगा। उन्होंने कहा कि 1996-97 से यह मामला जेरे गौर है। 17 साल हो गये। हाइ प्रोफाइल लोग जुड़े हैं इसलिए फैसले को टालने की कोशिश हो रही है। अगर आम लोग इसमें होते, तो इस तरह की दरख्वास्त नहीं आती। वह जदयू एमपी राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की तरफ से बहस कर रहे थे।

सुनवाई के दौरान जजों ने सीबीआइ और लालू प्रसाद के वकील से पूछा की अगर इस वक़्त जज बदले जाते हैं, तो सुनवाई पूरी होने में कितना वक़्त लगेगा। इस पर सॉलिसीटर जनरल मोहन पराशरण ने कहा कि सीबीआइ को सारी कार्यवाही पूरी करने में 30 से 40 दिन लगेंगे। दूसरी तरफ राम जेठमलानी ने कहा कि उन्हें अपने बचाव के लिये करीब 10 दिन और चाहिए। सभी फरीकों की बातों को सुनने के बाद बेंच ने फैसला महफूज रख लिया। आरसी 20ए /96 केस में साबिक़ वजीरे आला लालू प्रसाद के अलावा साबिक़ वजीरे आला डॉ जगन्नाथ मिश्र और जहानाबाद के जदयू एमपी जगदीश शर्मा अहम मुल्ज़िम हैं।