चारा स्क़ाम: जज तबदील करने लालू प्रसाद की दरख़ास्त रद‌

आर जे डी क़ाइद लालू प्रसाद को आज चारा स्क़ाम मुआमले में सुप्रीम कोर्ट की जानिब से एक झटका लगा क्योंकि उन्होंने अदालत में एक दरख़ास्त का इदख़ाल करते हुए मांग‌ की थी कि इस मुआमले की समाअत किसी दीगर अदालत को मुंतक़िल की जाये।

चीफ़ जस्टिस पी स़्था सीवम की क़ियादत वाली एक बंच ने ट्रायल कोर्ट को मुक़द्दमा की तकमील जल्द से जल्द करने, इस्तिग़ासा को अपनी जरह की तकमील के लिए पाँच दिन और मुल्ज़िमीन को भी अपनी सफ़ाई पेश करने की हिदायत की। अदालत ने कहा कि रांची हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इस मुआमले में जो भी मौक़िफ़ इख़तियार किया है, उससे क़ता नज़र अपना फ़ैसला सुनाएगी।

अदालत ने इस बात को भी खासतौर पर नोट किया कि लालू प्रसाद इस मुआमले की समाअत करने वाले जज को भी तबदील करवाने के ख़ाहां हैं जब कि मज़कूरा जज 2011 से इस मुआमले की समाअत कररहे हैं। याद रहे कि लालू प्रसाद ने इस्तिदलाल पेश किया था कि अदालत में समाअत के दौरान उन के साथ तास्सुब बरता जा रहा है क्योंकि ट्रायल जज की बहन की बिहार के वज़ीर पी के शाही के कज़न से शादी हुई है।

लालू प्रसाद का अस्ली दुश्मन है लेकिन अदालत ने लालू प्रसाद के इस्तिदलाल को रद‌ कर दिया। यहां इस बात का तज़किरा दिलचस्प होगा कि वक्त से पहले अदालत ने लालू प्रसाद की जज बदलने की दरख़ास्त को मंज़ूर करलिया था और सी बी आई के इलावा लालू प्रसाद के वकील को भी हिदायत की थी के वो किसी ऐसे जज का नाम पेश करें जो इस मुआमले की समाअत करे।

यही नहीं बल्कि फ़रीक़ैन को भी अदालत ने हिदायत की थी कि 6 अगस्ट तक किसी भी जज की तक़र्रुरी के लिए राय शुमारी करली जाये लेकिन जे डी ( यू) क़ाइद राजीव रंजन की जानिब से ज़बरदस्त एहतिजाज के बाद आइन्दा समाअत में जज की तबदीली के बारे में फ़ाज़िल अदालत ने कोई तज़किरा नहीं किया। राजीव रंजन ने कहा था कि अगर उस वक़्त जज को तबदील करना इंसाफ़ के साथ खिलवाड़ करने के मुतरादिफ़ होगा। याद रहे कि करोड़ों रुपये का चारा स्क़ाम 1996 में मंज़रे आम पर आया था।