रांची : रियासत के चार ऑपरेशनल कोल ब्लॉक में गुजिस्ता साल एक अप्रैल से पहले प्रोडक्टशन हो रहा था़। डैरेक्ट व इन्डैरेक्ट तौर से एक कोल ब्लॉक से कम अज कम पांच से सात हजार लोगों का रोगजार जुड़ा था़। पर सुप्रीम कोर्ट के हुक्म के बाद एक अप्रैल से इन कोल ब्लॉकों का अलोटमेंट मनसुख कर दिया गया़। इससे प्रोडक्शन भी रुक गया़ प्रोडक्शन रुकने से चारों कोल ब्लॉक से डैरेक्ट या इन्डैरेक्ट तौर से जुड़े करीब 20 से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गये हैं। नीलामी और अलोटमेंट से पहले झारखंड में कठोतिया, पचुवारा सेंट्रल, पचुवारा नोर्थ और परबतपुर कोल ब्लॉक चालू हालत में थे।
पचुवारा सेंट्रल पंजाब इलेक्ट्रिसिटी और बंगाल एमटा की मुश्तरका कंपनी पैनम कर रही थी़ इसी तरह कठोतिया उषा मार्टिन लिमिटेड और पचुवार नोर्थ वेस्ट बंगाल पावर व बंगाल एम्टा की तरफ से किया जा रहा था़। परबतपुर कोल ब्लॉक से इलेक्ट्रो स्टील कंपनी कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट के हुक्म के बाद इन्हें 31 मार्च 2015 तक ही प्रोडक्शन करना था। इसके बाद नीलामी की जानी थी़ नीलामी के बाद नये प्रमोटर को इसका अलोटमेंट देना था़। मर्क़ज़ी हुकुमत ने कोल माइंस (स्पेशल प्रोविजन) एक्ट 2015 बना कर इनकी नीलामी की शुरुवात करायी। तब दावा किया गया था कि जो कोल ब्लॉक चल रहे हैं, नीलामी के बाद नये प्रमोटर उसे चलाते रहेंगे। पर ऐसा हो नहीं हो सका।
कठोतिया कोल ब्लॉक का लीज अलोटमेंट हिंडाल्को को कर दिया गया़ पर जंगल-झाड़ी निकल जाने से फॉरेस्ट क्लीयरेंस नहीं मिला। इससे प्रोडक्शन नहीं हो सका़ काम नहीं होने से पांच हजार लोग बेरोजगार बैठे हैं. हिंडाल्को सिर्फ 500 लोगों को ही तनख्वाह दे रही है़। पाकुड़ जिले के आमरापाड़ा वाक़े पचुवारा सेंट्रल कोल ब्लॉक पहले पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड को मिला था। पंजाब पावर ने एमटा को माइंस डेवलपर व ऑपरेटर के तौर में तक़र्रुरी कर ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनायी थी, जिसका नाम पैनम कोल माइंस लिमिटेड था। वहीं, पचुवारा नोर्थ कोल ब्लॉक से प्रोडक्शन बंगाल पावर व एमटा की तरफ से किया जा रहा था़। यहां भी तकरीबन सात हजार लोग काम कर रहे थे।
मजदूरों से भी कंपनी ने पल्ला झाड़ लिया। परबतपुर कोल ब्लॉक के लिए नीलामी हुई़ पर पहली बार की नीलामी में एक ही कंपनी हिस्सा ले पायी़। बीसीसीएल को इस कोल ब्लॉक के लिए कस्टोडियन बना दिया है। पर दो अप्रैल से इस कोल ब्लॉक से भी प्रोडक्शन बंद कर दिया गया़ दूसरी बार भी इसकी नीलामी नहीं हो सकी़ इसके बाद इसे सेल को अलोटमेंट कर दिया गया़। प्रोडक्शन बंद होने से यहां के मजदूर बेकार बैठे हैं। इलेक्ट्रो स्टील के अफसर अब इसे लेकर कोई भी बात नहीं करना चाहते। इतना जरूर कहा कि जब खदान चालू हालत में थी, तब यहां से एक लाख मीट्रिक टन कोयले का प्रोडक्शन होता था।
मर्क़ज़ी हुकुमत ने पहले फेज़ में कठोतिया कोल ब्लॉक की नीलामी करायी। नये प्रमोटर बनी हिंडाल्को कंपनी। वहीं, पचुवारा सेंट्रल व पचुवारा नोर्थ का अलोटमेंट दुबारा पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन व बंगाल पावर को ही किया गया। परबतपुर की नीलामी नहीं हो सकी है। बाद में इसे सेल को अलोटमेंट दिया गया।