चीन की जानिब से किसी भी इश्तेआल अंगेज़ी की तरदीद

नई दिल्ली, 26 अप्रैल (पी टी आई) अपने मौक़िफ़ पर क़ायम रहते हुए कि चीनी फ़ौजीयों ने लद्दाख में हक़ीक़ी ख़त क़बज़ा की ख़िलाफ़वरज़ी करते हुए कोई इश्तेआल अंगेज़ी नहीं की है, चीन ने आज कहा कि इस वाक़िया से सरहदों पर अमन में ख़ललअंदाज़ी पैदा नहीं होगी और ना बाहमी ताल्लुक़ात मुतास्सिर होंगे क्योंकि दोनों ममालिक इस तनाज़ा की दोस्ताना अंदाज़ में यकसूई की कोशिश कर रहे हैं।

चीनी फ़ौजीयों के लद्दाख में वादी दासपांग में चीनी फ़ौजीयों की दरअंदाज़ी के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए वज़ार ए‍ ख़ारेजा चीन की तर्जुमान हुआचुनअंग ने कहा कि मैं इस इल्ज़ाम से मुत्तफ़िक़ नहीं हूँ कि चीन की जानिब से सरहदी फ़ौजीयों के दरमियान इश्तेआल अंगेज़ी की गई है।

उन्होंने कहा कि चीनी फ़ौजीयों ने कभी ख़त हक़ीक़ी क़बज़ा पार नहीं किया है। चीन और हिंदूस्तान पड़ोसी ममालिक हैं और दोनों की सरहदों की हनूज़ निशानदेही नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि ऐसी सूरत-ए-हाल में सरहदी इलाक़ों में मसाइल का पैदा होना नागुज़ीर है। लेकिन जब भी कोई मसला पैदा होता है उसकी यकसूई मौजूदा निज़ामों और निज़ामों के ज़रीया दोस्ताना मुशावरत करते हुए कर ली जाती है।

उन्होंने कहा कि मौजूदा वाक़िया से भी निपट लिया जाएगा और सरहदी इलाक़ों में अमन‍ ओ‍ इस्त्तेहकाम मुतास्सिर होने की इजाज़त नहीं दी जाएगी और ना हिंद चीन ताल्लुक़ात में हसब-ए-मामूल पेशरफ्त मुतास्सिर होगी। ज़राए इबलाग़ से सब्र-ओ-तहम्मुल का मुज़ाहिरा करने की अपील करते हुए चीनी वज़ारत‍ ए‍ ख़ारेजा के तर्जुमान ने कहा कि हम यक़ीन रखते हैं कि दोनों ममालिक मसला की दोस्ताना अंदाज़ में यकसूई करना जारी रखेंगे।

हम इस मसला को सरहदी अमन-ओ-सयानत और हिंद चीन ताल्लुक़ात में हसब-ए-मामूल पेशरफ्त को मुतास्सिर करने की इजाज़त नहीं देंगे। उन्हों ने उम्मीद ज़ाहिर की कि ज़राए इबलाग़ सब्र-ओ-तहम्मुल का मुज़ाहिरा कर सकते हैं और दोनों ममालिक के लिए साज़गार हालात पैदा कर सकते हैं।

ताकि इस मसला की दोस्ताना मुशावरत के ज़रीया यकसूई की जा सके। होचुनअंग ने कहा कि हिंद चीन सरहद पुरअमन और मुस्तहकम है। उन्होंने कहा कि सरहद पर मौजूदा सूरत-ए-हाल पुरअमन और मुस्तहकम है। चीन और हिंदूस्तान दोनों तनाज़ा की यकसूई पर आमादा हैं और दोनों ने बातचीत और मुशावरत के ज़रीया यकसूई से इत्तिफ़ाक़ कर लिया है।

उन्हों ने कहा कि वो गुज़श्ता तीन दिन से बार बार पुरज़ोर अंदाज़ में चीन का नुक़्ता-ए-नज़र पेश करती आ रही हैं और अब इस का इआदा करना चाहती हैं कि चीनी फ़ौजीयों ने हमेशा मुताल्लिक़ा मुआहिदा और दोनों ममालिक के दरमियान प्रोटोकोल की सख़्ती से पाबंदी करते हुए कार्यवाहीयां की हैं।

ख़त हक़ीक़ी क़बज़ा के आस पास के इलाक़ों की सयानत और तहफ़्फ़ुज़ के बारे में उन्होंने कहा कि चीन सरहदी इलाक़ों में अमन-ओ-सयानत बरक़रार रखने का पाबंद है और सरहदी मसला जो हमें तारीख़ से विरसा में हासिल हुआ है, सौदेबाज़ी के ज़रीया इसका फ़ैसला कर लिया जाएगा।

इन इत्तेलाआत के बारे में सवाल पर कि चीनी फ़ौजीयों का हिंदूस्तानी फ़ौज पर दबाव है कि वो इस इलाक़ा से बाअज़ क़िला बंदीयां ख़त्म कर दें, चीनी वज़ारत‍ ए‍ ख़ारेजा की तर्जुमान ने कहा कि चूँकि वो सरहद पर नहीं हैं, इस ए सूरत-ए-हाल में ताज़ा तरीन तब्दीली से नावाक़िफ़ हैं।

चीन और हिंदूस्तान दोनों तनाज़ा की पुरअमन बातचीत और मुशावरत के ज़रीया यकसूई से मुतफ़ाक हैं। दोनों ममालिक ने गुज़श्ता साल मुशावरती निज़ाम क़ायम किया है और मुताल्लिक़ा मसाइल पर बयक वक़्त मुवासलात बरक़रार रखे गए हैं। नई दिल्ली से मौसूला इत्तिला के मुताबिल वज़ीर‍ ए‍ ख़ारेजा सलमान ख़ुरशीद 9 मई से अपने दौरा-ए-चीन पर अटल हैं।

इसकी परवाह किए बगै़र कि हिंदूस्तान और चीन के फ़ौजीयों के दरमियान लद्दाख की दास पांग वादी में गुज़श्ता दस दिन से सफ़ आराई जारी है, जबकि चीनी फ़ौजीयों ने हिंदूस्तानी सरज़मीन पर दरअंदाज़ी की है। वज़ीर‍ ए‍ ख़ारेजा सलमान ख़ुरशीद का दौरा नौ मुंख़बा वज़ीर-ए-आज़म चीन ली केख़यांग का अव्वलीन दौरा हिंद होगा जो आइन्दा माह के अवाख़िर में मुतवक़्क़े है।

ली के दौरा को नुमायां एहमीयत दी जा रही है। गुज़श्ता माह वज़ीर-ए-आज़म मुंतखिब होने के बाद इन का ये अव्वलीन बैरूनी दौरा भी है। सलमान ख़ुरशीद ने आज एक प्रेस कान्फ्रेंस से ख़िताब करते हुए अपने मुजव्वज़ा दौरा चीन के बारे में कहा कि वो 9 मई को चीन जा रहे हैं। वज़ीर‍ ए‍ ख़ारेजा ने एतेमाद ज़ाहिर किया कि हिंदूस्तान और चीन सूरत-ए-हाल की यकसूई में कामयाब रहेंगे जो हिंदूस्तानी सरज़मीन पर चीनी फ़ौज की दरअंदाज़ी की वजह से पैदा हुई है।

उन्होंने कहा कि ऐसे मसाइल से निमटने के लिए दोनों ममालिक के दरमियान एक कारगर निज़ाम मौजूद है। सलमान ख़ुरशीद ने कहा कि हमें चाहीए कि इस निज़ाम को मसला का हल तलाश करने की इजाज़त दें। क़ब्लअज़ीं भी इस निज़ाम के ज़रीया कई मसाइल का हल तलाश किया जा चुका है और इस यक़ीन की कई वजूहात हैं कि इस बार भी ये निज़ाम तनाज़ा का हल तलाश करने में कामयाब रहेगा।

क़ब्लअज़ीं फ़िक्की से अपने ख़िताब के दौरान सलमान ख़ुरशीद ने कहा था कि किसी भी मसला पर इख्तेलाफ़ राय ग़द्दारी नहीं क़रार दी जा सकती।उन्हों ने कहा कि लोग उन से दरयाफ्त करते हैं कि हिंदूस्तान को क्या हो गया है, इसके तमाम पड़ोसी ममालिक इस के दोस्त नहीं रहे और वो उन्हें जवाब देते हैं कि आप का नज़रिया-ए दोस्ती मेरे नज़रिया-ए दोस्ती से मुख़्तलिफ़ है।

दोस्ती के बारे में मेरा नज़रिया ये है कि हमें एक दूसरे के साथ आज़ादाना तौर पर और बेबाकी के साथ बातचीत करनी चाहीए। हमें क्या तवक़्क़ुआत हैं और हम क्या दे सकते हैं, बिलकुल वाज़िह होना चाहीए। आप इस से इत्तिफ़ाक़ करें या ना करें लेकिन इख्तेलाफ़ राय ग़द्दारी नहीं होती।