भोपाल, 04 मई ( पी टी आई) वज़ीर-ए-आला मध्य प्रदेश शिव राज सिंह चौहान ने आज एक अहम बयान देते हुए कहा कि चीन के साथ सरहदी तनाज़ा के मौज़ू पर मरकज़ को एक कुल जमाती इजलास तलब करना चाहीए ।
गुज़शता शब बयान देते हुए उन्होंने कहा कि चीन के साथ सरहदी तनाज़ा सियासत से बालातर है और इस पर कुल जमाती राय शुमारी ( जन गणना) अज़हद ( बेहद) ज़रूरी है । हमारी दाख़िली सियासत में तनाज़आत पैदा होते हैं तो वो दीगर ( दूसरी) बात है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि सियासत में ना कोई किसी का मुस्तक़िल दुश्मन है और ना मुस्तक़िल दोस्त लेकिन जब मुआमला मुल्क की सलामती का आता है तो पार्टी वफ़ादारी से क़ता नज़र तमाम जमातों को एक आवाज़ बन जाना चाहीए ।
ये हमारी ख़ुद्दारी का सवाल है। मुल्क को इस मुआमला में मुस्तहकम मौक़िफ़ अपनाना चाहीए जिस में अवाम का तआवुन भी हुकूमत को हासिल रहेगा । चौहान ने हुकूमत पर तन्क़ीद करते हुए कहा कि सरबजीत के तहफ़्फ़ुज़ में हुकूमत पूरी तरह नाकाम हो गई । याद रहे कि लाहौर की एक जेल में सरबजीत पर मोहलिक हमला किया गया था और कल उसकी लाहौर के एक हॉस्पिटल में मौत वाकेए हो गयी थी ।
अपनी बात जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि हिंदूस्तान में हर किसी को इस बात का दुख है कि हुकूमत सरबजीत सिंह को बचा नहीं सकी जबकि तवक़्क़ो की जा रही थी कि मुतवफ़्फ़ी की रिहाई के लिए हुकूमत मुसिर इक़दामात करेगी लेकिन मरकज़ की कोताही की वजह से आज अवाम में गम-ओ-ग़ुस्सा पाया जाता है ।
चौहान ने मज़ीद कहा कि मर्कज़ी हुकूमत को सरबजीत सिंह की रिहाई के लिए पाकिस्तान पर आलमी दबाओ बनाने की ज़रूरत थी । अगर पाकिस्तान पर आलमी दबाओ पड़ता तो सरबजीत सिंह की रिहाई मुम्किन हो सकती थी । इस मुआमला में अमेरीका की ख़ामोशी भी मानी ख़ेज़ है ।
अगर अमेरीका ने भी सिफ़ारती कोशिशें की होतीं तो आज सूरत-ए-हाल वो नहीं होती जो आज है । बहरहाल ऐसे वाक़ियात पर अगर अपोज़ीशन हुकूमत की ग़लत पालिसीयों का रोना रोती है तो इक्तेदार पर बिराजमान वुज़रा को बहुत बुरा लगता है जब कि ज़मीनी हक़ीक़त यही है ।