वज़ीर आज़म डाक्टर मनमोहन सिंह की सदारत में मुल़्क की तमाम रियासतों के चीफ मिनिस़्टरों का एक इजलास होने वाला है जिस में वज़ीर दाख़िला मिस्टर पी चिदम़्बरम के तजवीज़ कर्दा क़ौमी मर्कज़ बराए इन्सेदाद-ए-दहशतगर्दी ( एन सी टी सी ) पर तबादला ख़्याल होगा ।
जारीया साल के इबतदा-ए-में मिस्टर चिदम़्बरम ने ये तजवीज़ पेश की थी और कहा था कि क़ौमी सतह पर इन्सिदाद-ए-दहशतगर्दी मर्कज़ का क़ियाम अमल में लाने मर्कज़ की तजवीज़ है । इस सिलसिला में मिस्टर चिदम़्बरम ने यक्म मार्च की तारीख का भी तीन कर लिया था और कहा था कि इस तारीख से ये मर्कज़ काम करना शुरू कर देगा ।
ताहम इस पर ख़ुद यू पी ए में शामिल चीफ मिनिस़्टरों ने भी एतराज़ किया था । एन डी ए से ताल्लुक़ रखने वाले चीफ मिनिस्टर्स भी इस की मुख़ालिफ़त में शामिल रहे और उन का कहना था कि मर्कज़ी हुकूमत इस क़ानून के ज़रीया रियासतों के इख़्तेयारात में मुदाख़िलत करने पर उतर आई है और इस इक़दाम से मुल्क का वफ़ाक़ी ढांचा मुतास्सिर हो जाएगा।
यू पी ए में शामिल जमातों और खासतौर पर अहम तरीन हलीफ़ तृणमूल कांग्रेस की सरबराह और चीफ मिनिस्टर मग़रिबी बंगाल ने इस की शदीद मुख़ालिफ़त करते हुए हुकूमत के लिए मसाएल पैदा कर दिए थे । उन का कहना था कि क़ानूनसाज़ी के नाम पर मर्कज़ी हुकूमत रियासतों के इख़्तेयारात में मुदाख़िलत नहीं कर सकती ।
शदीद मुख़ालिफ़त को देखते हुए मर्कज़ी हुकूमत को अपने इक़दाम को इलतिवा में डालना पड़ा था और इस पर इत्तेफ़ाक़ राय पैदा करने के लिए चीफ मिनिस़्टरों का एक इजलास तलब करने का ऐलान किया गया था । ये ऐलान 5 मई हफ़्ता को दिल्ली में होने वाला है और इम्कान है कि ये इजलास मर्कज़-ओ-रियासतों के माबेन ताल्लुक़ात के मसला पर असर अंदाज़ होगा । इस इजलास में रियासतों की जानिब से मर्कज़ को शदीद तन्क़ीद का निशाना बनाए जाने का इम्कान है और वो किसी भी हाल में इस मर्कज़ के क़ियाम की ताईद नहीं करेंगे ।
इसी तरह मर्कज़ी हुकूमत की जानिब से भी अगस् बात की हर मुम्किना कोशिश की जाएगी कि इस मर्कज़ के क़ियाम पर रियासतों को किसी तरह मुतमईन (संतुष्ट) किया जा सके । मर्कज़ी हुकूमत और रियासतों के चीफ मिनिस्टर्स इस पर अटल मौक़िफ़ का इशारा दे रहे हैं इस तरह ये कहा जा सकता है कि हफ़्ता को मुनाक़िद होने वाला इजलास गर्मा गर्म हो सकता है और इस में मर्कज़ को तन्क़ीदों का सामना करना पड़ सकता है ।
एन सी टी सी का क़ियाम एक एसी तजवीज़ है जिसे सयासी नुक़्ता-ए-नज़र से देखने से गुरेज़ करना चाहीए । ख़ुद यू पी ए में इस की मुख़ालिफ़त इस बात का इशारा देती है कि सयासी वाबस्तगी की बुनियाद पर नहीं बल्कि मर्कज़ रियासत ताल्लुक़ात के ऐतबार से इस मसला का जायज़ा लिया जाना चाहीए । इसके इलावा इस मर्कज़ के क़ियाम की वजह से मुस्तक़बिल में पैदा होने वाले हालात का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं होगा ।
नफ़ाज़ क़ानून की एजेंसियों को इस से जो इख़्तेयारात मिलने वाले हैं उन के बेजा इस्तेमाल के अनुदेशों को भी मुस्तर्द नहीं किया जा सकता। इन हालात में जब तक ना सिर्फ रियासतों के बल्कि सारे मुल्क के अवाम के ख़दशात को दूर नहीं किया जाता उस वक़्त तक इस पर पेशरफ़्त की इजाज़त नहीं दी जानी चाहीए । काबिल-ए-ग़ौर बात ये है कि इस क़ानूनसाज़ी के मसला पर मुल्क में सयासी सफ़ बंदियां भी होने लगी हैं।
अपोज़ीशन से ताल्लुक़ रखने वाले चीफ मिनिस्टर्स इस मसला पर मर्कज़ी हुकूमत के ख़िलाफ़ महाज़ आराई करने में मसरूफ़ हैं। तमिलनाडू की चीफ मिनिस्टर जया ललीता ओडिशा के चीफ मिनिस्टर नवीन पटनाइक बिहार के चीफ मिनिस्टर नितीश कुमार और गुजरात के चीफ मिनिस्टर नरेंद्र मोदी की एक दूसरे से मुलाकातें हो रही हैं और इस इम्कान को मुस्तर्द नहीं किया जा सकता कि अपोज़ीशन जमाअतें इस क़ानून के हक़ीक़ी मुज़म्मिरात को दूर करने मर्कज़ पर दबाव डालने से ज़्यादा सयासी सफ़ बंदियों में मसरूफ़ हैं और उन्हें इस तजवीज़ के मुज़म्मिरात की कोई परवाह नहीं है । वो इन मुज़म्मिरात की आड़ में अपने सयासी मक़ासिद की तकमील करना चाहते हैं । ये तरीका कार मुल़्क की जमहूरी सियासत के लिए हरगिज़ भी मुनासिब नहीं कहा जा सकता ।
सयासी अग़राज़-ओ-मक़ासिद की बजाय एन सी टी सी के क़ियाम से मर्कज़ । रियासत ताल्लुक़ात पर होने वाले असरात वफ़ाक़ी इक़दार की पासदारी और दीगर अवामी उमूर को बुनियाद बनाते हुए मुख़ालिफ़त की जाती है तो ये एक अच्छी बात होगी और एन सी टी सी के मुज़म्मिरात से मुस्तक़बिल में भी बचने में मदद मिल सकती है ।
इसके बजाय सयासी मक़सद बरारी के लिए महाज़ आराई जम्हूरियत के लिए नुक़्सानदेह होगी और मुल्क ( देश) के अवाम की तशवीश को दूर करने में इस से मदद नहीं मिल सकती ।
जहां तक हुकूमत का ताल्लुक़ है कल मुनाक़िद होने वाले इजलास में वज़ीर आज़म डाक्टर मनमोहन सिंह और वज़ीर दाख़िला मिस्टर पी चिदम़्बरम इम्कान है कि चीफ मिनिस़्टरों के अनदेशों और ख़ुदाशत को दूर करने की कोशिश करेंगे और उनका ये कहना है कि मर्कज़ के इक़दाम से मर्कज़ । रियासत ताल्लुक़ात मुतास्सिर नहीं होंगे और ना ही वफ़ाक़ी ढांचा इस से मुतास्सिर होगा।
मर्कज़ी हुकूमत हो या फिर रियासतों के चीफ मिनिस्टर्स हूँ इन्हें चाहीए कि वो सयासी मक़ासिद की तक़्मील के लिए क़ानूनसाज़ी या फिर अहम फैसलों का सहारा ना लें। सयासी मक़ासिद की तकमील के मौक़े उन्हें कई मिल सकते हैं लेकिन मुल्क के मुफ़ादात को दोनों ही को नज़र में रखते हुए कोई फैसला करना चाहीए ।
एन सी टी सी की मुख़ालिफ़त हो या उसकी ताईद हो दोनों ही सूरतों में सिर्फ मुल्क-ओ-क़ौम के मुफ़ादात को ज़हन में रखते हुए फैसला करना वक़्त की अहम ज़रूरत है । सयासी मक़ासिद-ओ-जरूरतों की तकमील को ज़हन में रखते हुए इख्तेयार किया गया मौक़िफ़ मुल्क-ओ-क़ौम के मुफ़ाद में नहीं होगा।