चेन्नई की विनाशकारी बाढ़ में डूबी 269 जिंदगियां,

चेन्नई में भारी बारिश के चलते पैदा हुए बाढ़ के हालात का जायजा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चेन्नई रवाना हो रहे हैं। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। प्रधानमंत्री यहां राहत और बचाव कार्यों का निरीक्षण करेंगे।

लोकसभा में इसी मसले पर चर्चा के दौरान गृहमंत्री ने सदन को जानकारी देते हुए कहा कि इस आपदा में अब तक 269 लोगों की मौत हो चुकी है।

दूसरी ओर नौसेना का पोत आईएनएस ऐरावत राहत सामग्री लेकर चेन्नई पहुंचने वाला है। माना जा रहा है कि ऐरावत के चेन्नई पहुंचने से राहत कार्यों में और तेजी आएगी।

बारिश के कारण फंसे हैं छात्र और प्रवासी
पिछले दो दिन से बिस्कुट खाकर और भारी बारिश से प्रभावित चेन्नई के बाहरी इलाके में स्थित तांब्रम स्टेशन के फर्श पर सोकर गुजारा करने वाले मजदूर सलीम को पश्चिम बंगाल में उसके शहर तक ले जाने वाली ट्रेन का इंतजार है।

तांब्रम भारी बारिश के प्रकोप का शिकार बने चेन्नई का एक उपनगरीय इलाका है। इस स्टेशन के बाहर दो-तीन किलोमीटर तक का क्षेत्र जलमग्न हो चुका है, जिसके चलते यह बाकी चेन्नई से कट गया है।

बेघर हो चुके लोगों को दूर-दराज के होटलों या रिश्तेदारों के घरों में शरण लेनी पड़ रही है। वहीं गरीब और जरूरतमंदों को या तो रेलवे स्टेशनों पर असामाजिक तत्वों से जूझना पड़ रहा है या भीड़भाड़ वाले राहत शिविरों में जद्दोजहद करनी पड़ रही है।

सलीम ने कहा, ‘मैं पेरूमबक्कम में मजदूर के रूप में काम करता हूं लेकिन सभी निर्माणस्थलों पर बाढ़ आ गई है। इसलिए काम रोक दिया गया है। हम दो दिन पहले स्टेशन पर आए थे लेकिन सभी ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं। मुझे मुर्शिदाबाद जाना है लेकिन मैं यहां फंस गया हूं। न खाने के लिए कुछ है, न ही पैसा बचा है। हम बिस्कुटों और प्रार्थनाओं पर जी रहे हैं।’

अपने दुर्भाग्य को कोसने वाला सलीम अकेला नहीं है। बिहार से आए राज मिस्त्री मनोज महतो और उत्तर प्रदेश के फतेहपुर से आए बढ़ई राज कुमार भी इस त्रासदी के बाद बेहद मुश्किल हालात से गुजर रहे हैं। ये दोनों ही तांब्रम में काम करते रहे हैं।

महतो ने कहा, ‘हम सबसे पहले काम से भागे। कुछ इलाकों में इमारतें डूब गईं। इसके बाद हमारे पैसे खत्म हो गए। एटीएम में भी नकदी खत्म हो गई क्योंकि इसमें पैसा डाला ही नहीं जा रहा। जो भी ब्रैड या बिस्कुट हमने जमा किए थे, हम उन्हीं पर जी रहे हैं।’

पुराने तांब्रम रेलवे स्टेशन पर स्थानीय ट्रेनें पटरियों पर खड़ी हैं और ये पिछले कई दिनों से हरे सिग्नल का इंतजार कर रही हैं।

गरीब प्रवासियों के अलावा, कॉलेजों और अन्य संस्थानों के छात्र भी स्टेशनों और हवाईअड्डों पर फंसे हैं। राज्य प्रशासन ने एक माह की छुट्टी घोषित कर दी है लेकिन काम से छुटटी इन्हें और अधिक तनाव दे रही है।

पानी-पानी रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट
चेन्नई सेंट्रल और एगमोर स्टेशनों की हालत भी कुछ ऐसी ही है। वहां भी लोग आश्रय के लिए रूके हुए हैं।

चेन्नई हवाई अड्डे का नजारा भी ऐसा ही है। यहां उड़ानें अस्थायी तौर पर स्थगित कर दी गई हैं, जिसके कारण अनेक यात्री अव्यवस्था और अनिश्चितता के बीच यहां फंसे हुए हैं।

एसेंचर में काम करने वाले आईटी पेशेवर राज ने कहा कि उनके ऑफिस के इलाके आईटी पार्क में बिजली नहीं है इसलिए वह काम पर नहीं जा रहे हैं।

उन्होंने कहा, मैं मेदुमबक्कम में रहता हूं और हमारे इलाके में हालत बेहद खराब है। ये गरीब लोग कई दिनों से स्टेशनों पर रह रहे हैं। हम पानी के उतरने का इंतजार कर रहे हैं।

बारिश ने 100 साल का रिकॉर्ड तोड़ा
गौरतलब है कि चेन्नई में हो रही मूसलाधार बारिश ने लगभग 100 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। जिसके कारण रक्षा बलों को राहत एवं बचाव कार्यों के लिए तैनात करना पड़ा है।

लबालब भरी झीलों और बांधों में दरारों के कारण लोगों को अपने इलाके छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। मुदिचुर, वरदराजपुरम, पश्चिमी तांब्रम, मणिवक्कम की झीलों के कारण इलाकों में बाढ़ आ गई है और जनजीवन पूरी तरह पटरी से उतर गया है।

तांब्रम के जीएसटी रोड इलाके में रहने वाले 60 वर्षीय कानन एक अन्य इलाके में रहने वाले अपने रिश्तेदार के घर चले गए हैं क्योंकि उनका अपना मकान बाढ़ में आंशिक रूप से डूब गया था।

उन्होंने कहा, मैं ग्लोबल अस्पताल के पास रहता हूं। इसका बेसमेंट और बाकी सब पूरी तरह पानी से भर गए हैं। मेरा मकान और इलाका जलमग्न हो गया है। इसलिए हम अपने पूरे परिवार के साथ एक अलग जगह आ गए हैं। कुछ लोग वहां होटलों में रूक रहे हैं लेकिन होटल भी खचाखच भरे हैं। हम बेहद खराब समय से गुजर रहे हैं।

लगातार बारिश के कारण शहर के कई हिस्सों में सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। कई स्थानों पर लोगों को घुटनों तक भरे पानी से होकर गुजरना पड़ रहा है।

बारिश से प्रभावित कुछ लोगों का कहना है कि ऑटो और टैक्सी चालक भारी किराया वसूल रहे हैं लेकिन समग्र तौर पर देखा जाए तो शहर में आई इस त्रासदी से निपटने के लिए सहयोग और सौहार्द का माहौल स्पष्ट रूप से महसूस किया जा सकता है।