नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान मुद्दों पर जहाँ देश में पहले ही तनाव का माहौल बना हुआ है वहीँ देश के भीतर भी ऐसे तनाव के माहौल की साजिशें रची जा रही हैं। भारत-पाकिस्तान मुद्दे की आड़ में देश के तिरंगे को लपेटे में लिया जा रहा है।
जनसंघ की मासिक पत्रिका ‘जनसंघ टूडे’ के सितंबर के इशू में एक कवर स्टोरी छापी गई है जिसका नाम दिया गया है ‘अबॉलिश माइनॉरटी कॉन्सेप्ट’ जिसका मतलब है ‘अल्पसंख्यक अवधारणा को खत्म करो’ राष्ट्रीय झंडे पर टिप्पणी करते हुए जनसंघ ने इसे धार्मिक रंग देने की मांग करते हुए सरकार से भारत के राष्ट्रीय ध्वज से ‘हरा’ रंग को निकालने की मांग की है।
जनसत्ता की खबर के अनुसार, स्टोरी के साथ ही पत्रिका के कवर पेज पर राष्ट्रीय ध्वज की फोटो छपी है, जिसमें से ‘हरा’ रंग हटाकर उसकी जगह ‘केसरिया’ रंग दर्शाया गया है और पत्रिका के संपादकीय में कहा गया है कि भारत में ‘अल्पसंख्यक अवधारणा’ की शुरूआत बंटवारे के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की थी।
नेहरू के इस ‘अल्पसंख्यक अवधावरणा’ ने देश को बांटने का काम किया है लेकिन अब हमें सावधान हो जाना चाहिए और इस धारणा खत्म करना चाहिए क्योंकि देश में सब एक बराबर हैं।