जम्मू: जम्मू-कश्मीर की विधानसभा ने गुरुवार को प्रवासी कश्मीरी पंडितों की सम्मानजनक घर वापसी (कश्मीर वापसी) के पक्ष में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया।
न्यूज़ नेटवर्क समूह न्यूज़ 18 के अनुसार गुरुवार की सुबह जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्ष के नेता उमर अब्दुल्ला ने कश्मीरी पंडितों की घर वापसी का मामला उठाया। श्री अब्दुल्ला ने सदन में बोलते हुए कहा कि ‘पंडितों को कश्मीर से विस्थापित किए हुए 27 साल बीत चुके हैं। उनकी सम्मानजनक स्वदेश वापसी के लिए माहौल बनाया जाना चाहिए।
उमर अब्दुल्लाह राज्य की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि माननीय अध्यक्ष से अनुरोध करता हूँ कि हमें राजनीति से ऊपर उठकर कश्मीरी पंडितों की स्वदेश वापसी पर एक प्रस्ताव लानी चाहिए और इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पंडितों के साथ कुछ सिख और मुस्लिम परिवारों ने भी घाटी से पलायन की थी और उन्हें भी वापस अपने घरों को आना चाहिए।
राज्य मंत्री अब्दुर्रहमान वैरी ने उमर अब्दुल्लाह के इस प्रस्ताव का स्वागत करते हुए उन से सहमती जताई। ब्रेक प्रश्न समाप्त होने के बाद सदन ने सर्वसम्मति से कश्मीरी पंडितों की स्वदेश वापसी के लिए एक प्रस्ताव पारित किया। सदन में केवल निर्दलीय विधायक इंजीनियर शेख अब्दुल रशीद ने इस प्रस्ताव पर अपनी आपत्ति जताई।
गौरतलब है कि घाटी में 1990 में सशस्त्र विद्रोह शुरू होने के साथ ही पंडितों के प्रवास का सिलसिला शुरू हुआ था। जहां पंडितों का आरोप है कि उन्हें सशस्त्र बंदूकधारियों ने पलायन करने के लिए मजबूर किया था, वहीं कश्मीरी मुसलमानों का कहना है कि पंडितों को एक साजिश के तहत घाटी से निकाला गया था जिसका उद्देश्य कश्मीरी मुसलमानों को बदनाम करना था। अलगाववादी संगठन पंडितों की घर वापसी के पक्ष में हैं।