जर्मनी में ख़तना क़ाबील सज़ा जुर्म !

जर्मनी की एक अदालत(कोर्ट) ने मज़हबी अहकामात के तहत मर्दों के ख़तना को ख़तरनाक(भयानक) ज़ख़म रसानी और काबिल सज़ा जुर्म क़रार दे कर मुल्क में मज़हब और अक़ाइद(अकेदा) की आज़ादी के बारे में नई बेहस छेड़ दी है ।

मुस्लमानों और यहूदीयों की मर्कज़ी तंज़ीमों ने कोलोन की ज़िलई अदालत(कोर्ट) के एक फ़ैसला के ख़िलाफ़ जिस में एक मुस्लमान नौज़ाईदा लड़के के ख़तना को एक फ़र्द की जिस्मानी सलामती के मुनाफ़ी और काबिल सज़ा जुर्म क़रार दिया गया है, सख़्त एहतिजाज किया है ।

तफ़सीलात के मुताबीक़ एक चार साला मुस्लमान लड़के के वालदैन ने इस की ख़तना कराई , जिस के कुछ रोज़ बाद ख़ून रिसने के बाइस उसे हस्पताल ले जाना पड़ा । अस्पताल के डाक्टर के बाक़ौल लड़के की माँ ने उसे बताया के वो अपने बेटे के ख़तना से मुत्तफ़िक़ (सहमत)नहीं थी जिस पर डाक्टर ने पुलिस को इत्तिला दे दी ।

ख़तना करने वाले डाक्टर को ज़ख़म रसानी के इल्ज़ाम से बरी कर दिया गया मगर अगली अदालत ने अब अपने फ़ैसला में बच्चे की जिस्मानी सलामती और तहफ़्फ़ुज़ को मज़हबी आज़ादी और वालदैन के फ़राइज़ परवरिश से बालातर क़रार दिया है ताहम इस केस में ख़तना करने वाले डाक्टर को सज़ा नहीं दी क्योंके उसे अपने अमल के काबिल सज़ा होने का इलम नहीं था।

कोलोन की अदालत के इस फ़ैसला के बाद ख़दशा ज़ाहिर किया जा रहा है के अपने नोमोलूद लड़कों की ख़तना कराने वाले मुस्लमान और यहूदी वालदैन और ख़तना करने वाले डाक्टरों और दूसरे अफ़राद को ज़ख़म रसानी के मुक़द्दमात का सामना हो सकता है ।

मुस्लमानों के अलावा जर्मनी की मर्कज़ी यहूदी कौंसल ने भी हुकूमत से मुतालिबा किया है के वो ख़तना के सवाल पर वफ़ाक़ी पार्लीमैंट से क़ानून मंज़ूर करवा कर इस अहम और बुनियादी मज़हबी अक़ीदा और रिवायत को तहफ़्फ़ुज़ फ़राहम करे ।