ज़रई यूनीवर्सिटी राजिंदर नगर में मस्जिद हस्नैन 1977 से गैर आबाद

राजिंदर नगर की तारीख़ी ज़रई यूनीवर्सिटी की गैर आबाद मस्जिद बुख़ारी का आज सुबह की अव्वलीन साअतों में सदर नशीन वक़्फ़ बोर्ड मौलाना ख़ुसरो पाशाह अफ़ज़ल ब्याबानी ने अपने मातहतीन के हमराह तफ़सीली दौरा किया और ज़रई यूनीवर्सिटी के मुस्लिम मुलाज़मीन को तयक्कुन दिया कि इस मस्जिद को बहुत जल्द आबाद किया जाय गा ।

वैसे ज़रई यूनीवर्सिटी में गैर आबाद मसाजिद की तादाद दो है लेकिन मस्जिद बुख़ारी को जिसे अब मस्जिद हसनेन से मौसूम किया गया है । आबाद करने की शदीद ज़रूरत है । वाज़ेह रहे कि 25 मई 2012 को रोज़नामा सियासत ने इस यूनीवर्सिटी की गैर आबाद मसाजिद के बारे में एक ख़ुसूसी रिपोर्ट शाय की थी जिस में बताया गया था किस तरह एक क़दीम(पुरानी) क़ुतुब शाही मस्जिद और दूसरी मस्जिद हसनेन (र) बंद पड़ी हैं ।

राजिंदर नगर ज़रई यूनीवर्सिटी जो बहादुर पूरा ज़ू पार्क से बमुश्किल पाँच केलो मीटर के फ़ासले पर वाक़ै है । 5500 एकड़ रकबा पर फैली हुई है । इस यूनीवर्सिटी में इस वक़्त के वाइस चांसलर प्रोफेसर अब्दुल वहाब बुख़ारी ने 3 मार्च 1977 को मस्जिद बुख़ारी ( मस्जिद हस्नैन र ) का संग बुनियाद रखा था और 1990 में इस मस्जिद का इफ़्तिताह अमल में आया लेकिन अफ़सोस के इफ़्तिताह के दिन ही इस मस्जिद में नमाज़ें अदा की गइ और इस के बाद मस्जिद पर ताला डाल दिया गया । इस तारीख से आज तक ये मस्जिद गैर आबाद और बंद पड़ी हुई है ।

जिस के नतीजा में वो काफ़ी बोसीदा होगई है । छत से बारिश का पानी अंदरूनी हिस्सों में रस रहा है । यहां तक कि क़ुरआन मजीद के नुस्खे़ भी भीग गए हैं । मस्जिद हस्नैन के करीब ही एक क़दीम(पुरानी) क़ुतुब शाही मस्जिद है वो भी गैर आबाद है । ज़रई यूनीवर्सिटी के मुलाज़मीन का कहना है कि जब इस क़ुतुब शाही मस्जिद को आबाद करने की कोशिश की गई तो यूनीवर्सिटी में कई मसाइल खड़े होगे । जिस पर हरकत में आते हुए हुकूमत ने करीब में मस्जिद की तामीर के लिये 25 हज़ार रुपये मंज़ूर किए ।

इस तरह मस्जिद हसनेन (र) की तामीर की गई लेकिन पता नहीं फिर क्या हुआ कि इस मस्जिद को भी बंद कर दिया गया । सियासत में ख़ुसूसी रिपोर्ट की इशाअत के साथ ही इस यूनीवर्सिटी के मुस्लिम स्टाफ़ ने जो मस्जिद को आबाद करने की कोशिशों में मुसलसल लगा हुआ है सदर नशीन वक़्फ़ बोर्ड मौलाना ख़ुसरो पाशाह को मस्जिद का मुआइना करने और मस्जिद को आबाद करने में तआवुन(मदद) करने की दरख़ास्त की ।

इस तरह स्टाफ़ की दावत पर वो मस्जिद हस्नैन का मुआइना करने के लिये -सुबह ज़रई यूनीवर्सिटी पहूंच गए और बोर्ड की टीम के हमराह तफ़सीली मुआइना क्या । इस मौक़ा पर उन्हों ने यूनीवर्सिटी के मुस्लिम स्टाफ़ को हिदायत दी कि वो वक़्फ़ बोर्ड को एक दरख़ास्त दें इस के बाद वो वक़्फ़ बोर्ड की एक टीम को वाइस चांसलर से मुलाक़ात के लिये रवाना करेंगे और स्टाफ़ ही में से कमेटी तशकील दी जाएगी । इस तरह मस्जिद को आबाद करने की राह हमवार होगी ।

ख़ुसरो पाशाह ने मुलाज़मीन और मुक़ामी क़ाइदीन और अफ़राद से कहा कि मस्जिद को आबाद करने में जो भी रुकावट आएगी उसे बोर्ड फ़ौरी दूर करने की कोशिश करेगा । सदर नशीन वक़्फ़ बोर्ड के दौरा के मौक़ा पर यूनीवर्सिटी इम्प्लाइज़ यूनीयन से ताल्लुक़ रखने वाले लोग भी मौजूद थे । सदर नशीन वक़्फ़ बोर्ड के तयक्कुन पर ज़रई यूनीवर्सिटी के मुस्लिम मुलाज़मीन में इत्मीनान की लहर दौड़ गई । जिन लोगों ने सदर नशीन वक़्फ़ बोर्ड को मस्जिद का मुआइना करवाया ।

इन में डाक्टर अहमद हुसैन प्रोफेसर हार मोनू लोजी , मुहम्मद क़ासिम साहब सपरनटनडेनट एडमिनिस्ट्रेशन , शेख उसमान रेकॉर्ड अस्सिटैंट , मुहम्मद ग़ौस ड्रेस हेलत सैंटर , मुहम्मद हबीब सदर यूनीवर्सिटी इम्प्लाइज़ यूनीयन , मुहम्मद अमजद मुहम्मद मुहीत ( दोनों सिनयर अस्सिटैंट ) , शेख मस्तान , शेख अहमद के इलावा मुक़ामी क़ाइदीन शेख फहीम , मुहम्मद महमूद और मुहम्मद हैदर शामिल हैं ।

सदर नशीन वक़्फ़ बोर्ड ने आज जिस अंदाज़ में तयक्कुन दिया है इस से लगता है कि वो मस्जिद को आबाद करने फ़ौरी इक़दामात करेंगे । माज़ी में इस मस्जिद का कई सयासी-ओ-समाजी क़ाइदीन भी दौरा कर चुके हैं ।

वैसे भी शहर में कई मसाजिद गैर आबाद हैं इस सिलसिला में भी वक़्फ़ बोर्ड और सदर नशीन वक़्फ़ बोर्ड को इक़दामात करने चाहीए । जिन इलाक़ों में गैर आबाद मसाजिद हैं वहां के अवाम रास्त सदर नशीन वक़्फ़ बोर्ड से रुजू हो कर उन्हें मस्जिद को आबाद करने की जानिब तवज्जा दिला सकते हैं ।।