जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से माइनॉरिटी स्टेटस का दर्जा छिन सकता है। मोदी हुकूमत इस मामले में यूपीए-2 हुकूमत के फैसले को पलट सकती है। लॉ मिनिस्ट्री दलील दे रहा है कि इस यूनिवर्सिटी की स्थापना केंद्रीय कानून के तहत की गई है।
इसके अलावा, इस यूनिवर्सिटी को शुरू करने या चलाने में मुस्लिम अकालियतो की कोई किरदार नहीं है।
माना जा रहा है कि लॉ मिनिस्ट्री ने हुकूमत को मशविरा दिया है कि वह इस मामले में 22 फरवरी 2011 को नेशनल कमिशन फॉर मॉइनॉरिटी एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस (NCMEI) के फैसले से पीछे हट जाए।
NCMEI ने जामिया मिलिया को माइनॉरिटी इंस्टीटयूटशन ऐलान किया था। इस फैसले को जब कोर्ट में चुनौती दी गई तो उस वक्त के HRD मिनिस्टर कपिल सिब्बल की रहबरी वाली मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कोर्ट में हलफनामा दायर करके कहा था कि हुकूमत इस मामले में NCMEI के फैसले का इस्तकबाल करती है।
अब लॉ मिनिस्ट्री ने मशविरा दिया है कि हुकूमत HRD मिनिस्ट्री के पुराने रुख से पीछे हट सकती है। बता दें कि हाल ही में हुकूमत ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे के मामले में भी अपने पुराने रुख को बदला है। केंद्र सरकार की ओर एटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार एक सेक्युलर देश में अल्पसंख्यक संस्थान को स्थापित नहीं कर सकती।
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