जिस समय इराक़ पर अमरीका का क़ब्ज़ा था, उस समय अबू ग़ुरैब जैसी जेलों में बंद इराक़ी कैदियों को नियमित रूप से यातनाएं दी जाती थीं और जेल के गार्ड्ज़ इस्राईली ट्रेनिंग कैंपों में सिखाए गए तरीक़ों को आज़माते थे जिसका उल्लेख राबर्ट फ़िस्क ने अपनी किताब ‘Abu Ghraib torture trail leads to Israel’ में लिखा है, पूछताछ के दौरान जो सवाल बड़ी कड़ाई से पूछते थे उनमें एक सवाल यह होता था कि वह व्यक्ति कहां है जिसे इमाम महदी कहा जाता है और कहां छुपा हुआ है?
इस्राईल समर्थक ईरानी ईसाई न्यूज़ एजेंसी मोहाबात के अनुसार इमाम महदी (अ) से भय इतना गंभीर है कि सीआईए और एमआई6 के एजेंट पिछले 20 साल से इराक़ जा रहे हैं ताकि इमाम महदी (अ) के बारे में जानकारियां एकत्रित करें।
उन्होंने स्कालरों और बेगुनाह ग्रामवासियों को प्रताड़ित करके यह सवाल पूछ कि इमाम महदी (अ) को आख़िरी बार कहां, किस शहर में, किस समय देखा गया? और वह कब तथा किस शहर में किस सन में पुनः आएंगे? अमेरिकन कार्पोरेट मीडिया आंखों से ओझल मसीहा की डाक्युमेंट्री फ़िल्में दिखा चुका हैं जिनमें वह अपने गुप्त ठिकाने से ईरानी राजनेताओं को सुझाव देते हैं और आर्मागेड्डान शुरु करने की बात करते हैं।
सवाल यह है कि यह इमाम महदी (अ) कौन है जिन्हें अमरीकी कांग्रेस और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था पर पूर्ण नियंत्रण रखने वाले ज़ायोनी लगातार खोज रहे हैं ताकि उन्हें देखते ही गोली मार दें।
इमाम महदी (अ) शीयों के बारहवें इमाम हैं जो इस्लामी हदीस के अनुसार आंखों से ओझल हैं और पुनः प्रकट होकर शांति और न्याय की स्थापना करेंगे। उनका जन्म 29 जुलाई 869 ईसवी को इराक़ के सामर्रा नगर में हुआ और उनकी मां हज़रत नरगिस ख़ातून थीं जिनका संबंध रोमन शाही ख़ानदान से था।
जन्म के समय से ही इमाम महदी (अ) को छुपाकर रखा गया और फिर वह स्थायी रूप से लोगों की आंखों से ओझल हो गए इस लिए कि उस समय के अब्बासी ख़लीफ़ाओं को इमाम महदी (अ) से संबंधित आस्था की जानकारी थी कि इमाम महदी (अ) अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध विद्रोह करेंगे। तत्काली अब्बासी ख़ालीफ़ाओं को यह भी पता था कि इमाम महदी (अ) शीयों के ग्यारहवें इमाम हज़रत हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम के यहां जन्म लेंगे।
अब्बासी ख़ालीफ़ाओं ने पैदा होते ही इमाम महदी (अ) को क़त्ल कर देने की नीयत से इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम के घर की कड़ी निगरानी करवाई। यहां तक कि उनके घर की महिलाओं पर नज़र रखी जाती थी कि किस महिला के पास छोटा बच्चा है?
बच्चे के जन्म और शुरू के कुछ वर्षों को पूरी तरह राज़ में रखा गया। जिस समय इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम को शहीद किया गया उस समय उनके इस बेटे की आयु चार साल थी। वह इसी उम्र से गैबत में चले गए। कुछ वर्ष बाद वह पुनः प्रकट हुए लेकिन फिर लंबे समय के लिए आंखों से ओझल हो गए।
बहरहाल यही स्थिति आज तक बनी हुई है। एक हज़ार साल पहले भी अत्याचारी शासकों ने उन्हें बहुत खोजा ताकि उनकी हत्या कर दें और आज भी अत्याचारी शक्तियां उनकी हत्या कर देने की कोशिश में हैं।
हाल ही में बीबीसी के प्रशनकाल में ज़ायोनियों की आवाज़ माने जाने वाले मेलानी फ़िलिप्स ने बहस का रुख़ इमाम महदी (अ) की ओर मोड़ दिया कि वह ईरान में छिपे हैं और महासंघर्ष शुरू करना चाहते हैं।
फ़िलिप्स ने अपने लेख में लिखा है कि मैं बार बार लिखता रहा हूं कि सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली ख़ामेनई से लेकर नीचे तक ईरानी सत्ता पर उन लोगों का नियंत्रण है जो यह मानते हैं कि शीयों के मसीहा इमाम महदी (अ) ज़मीन पर पुनः प्रकट होंगे।
शायद यही वजह है कि ज़ायोनी चाहते हैं कि ईरान से युद्ध हो जाए मगर यह बात समझ में नहीं आती कि एसे व्यक्ति की इस तनमयता से खोज क्यों की जा रही हैं जिनके बारे में यह आस्था है कि वह एक हज़ार साल से भी अधिक समय पहले आंखों से ओझल हो गए थे।
ग़ायब इमाम महदी (अ) संबंधी नज़रिया शीया और सुन्नी समुदायों में शताब्दियों से पाया जाता रहा है। यही नहीं यह आस्था तो सभी धर्मों में पायी जाती है।
ईसाइयों की यह मान्यता है कि हज़रत ईसा मसीह वापस आएंगे और ईसाइयत विरोधियों से लड़ेंगे। जबकि यहूदियों का हाल यह है कि वह तीसरे विश्व युद्ध का जोखिम उठाकर इस्लाम धर्म के तीसरे सबसे पवित्र स्थल मस्जिदुल अक़सा को ख़त्म करने पर तुले हुए हैं ताकि वहां पर तीसरा इबादतख़ाना बनाएं और यहूदियों का मसीहा वापस आए तथा उन्हें विश्व पर पूर्ण नियंत्रण दिलवाए।
पश्चिम में शक्की स्वभाव और धर्म विरोधी भावना के लोग कहते हैं कि यह सब केवल कहानिया हैं, मगर चौंकाने वाली बात यह है कि यदि यह सब केवल मिथ है तो इस्राईल इमाम महदी (अ) की तलाश में क्यों है?