नई दिल्ली, २२ सितंबर ( आई ए एन एस ) वज़ारत-ए-दाख़िला ने आज वज़ाहत करते हुए कहा कि जामिआ ,मिलिया इस्लामीया (JMI)फ़ौरन कंट्रीब्यूशन रेगूलेशन एक्ट (FCRA) के तमाम प्रोविज़न्स से इस्तिस्ना ( अलग कर) दिया गया है ।
यूनीवर्सिटी से जारी एक ब्यान में इस की तौसीक़ ( पुष्टी) की गई है । जिस में कहा गया है कि यूनीवर्सिटी पर बैरूनी सरमाया ( विदेशी पूँजी) वसूल करने और ख़र्च करने कोई पाबंदी नहीं होगी । जामिआ मिलिया इस्लामीया सब से पहले उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 1920 में क़ायम की गई थी।
बादअज़ां 1988 में पार्लीमेंट के एक ख़ुसूसी क़ानून के ज़रीया उसे सेंटर्ल यूनीवर्सिटी का मौक़िफ़ (दर्ज़ा/ स्थान) अता किया गया । जामिआ मिलिया इस्लामीया की तालीम को आज भी मुल्क भर में वक़ार (सम्मान) की नज़र से देखा जाता है।
वहां का फ़ारिगुत्तहसील तालिब-ए-इल्म तालीम के इलावा अपने अख़लाक़-ओ-आदात में भी जामि तसव्वुर किया जाता है और यही इस इदारे की ख़ूबी है।