जारीया सदी में इंसानों और दीगर सय्यारों की मख़लूक़ की मुलाक़ात का इमकान

ऑक्सफ़ोर्ड के एक साईंसदाँ(scientist) ने पेश क़ियासी की है कि 100 साल से भी कम मुद्दत में इंसानों की दीगर सय्यारों की अजनबी मख़लूक़ से मुलाक़ात का इमकान है। बर्तानिया के एक नामवर माहिर अर्ज़ीयाती तर्बीअयात ने कहा कि हुकूमतों को चाहीए कि इंसानों की दीगर सय्यारों की मख़लूक़ से मुलाक़ात की तैय्यारी का अभी से आग़ाज़ करदें।

उन्हों ने डबलिन में मुनाक़िदा यूरो साईंस ओपन फ़ोर्म कान्फ़्रैंस से ख़िताब करते हुए कहा कि इन का ख़्याल है कि आइन्दा 100 साल के अंदर दीगर सय्यारों में ज़िंदगी की मौजूदगी बल्कि ज़हीन मख़लूक़ की मौजूदगी का पता चल जाएगा। जौसलीन बैल ब्रुनेल ने अपनी तक़रीर में कहा कि हम ने उन के साथ इमकानी रवैय्या के सिलसिले में क्या तैय्यारी की है। क्या हमें उन्हें चिड़ियाघर में रख देना चाहीए, उन्हें खा लेना चाहीए या उन्हें उन के सय्यारों में जमहूरीयत क़ायम करने वापिस भेज देना चाहीए।

उन्हों ने कहा कि हमें जहां पथरीले सय्यारों की मौजूदगी का पता चला, वहीं इन में अजनबी मख़लूक़ की मौजूदगी का पता भी चल सकता है, क्योंकि पथरीले सय्यारों की फ़िज़ा-ए-में कार्बन डाई ऑक्साईड और ओज़ोन की परत की मौजूदगी भी मुम्किन है। ऑक्सफ़ोर्ड यूनीवर्सिटी की प्रोफ़ैसर ने कहा कि हमें अगर ये ख़्याल है कि दीगर सय्यारों में ज़हीन मख़लूक़ मौजूद है तो हमें अभी से उन से मुलाक़ात के बारे में सूचना चाहीए। अगर दीगर सय्यारों में मख़लूक़ की मौजूदगी का पता चल भी जाय तो रीडयाई अम्वाज या लेज़र शुवाओं के तवस्सुत से उन से बातचीत करने में अभी बरसों लग जाऐंगे।

कायनात में रोशनी से ज़्यादा तेज़ रफ़्तार शए कोई नहीं है, लेकिन इस के तवस्सुत से भी बातचीत के लिए 50 ता 100 साल की मुद्दत लग सकती है। साईंसदाँ दीगर सय्यारों में कुर्राह-ए-अर्ज़ पर मख़लूक़ की मौजूदगी की तशहीर करने के बारे में इख़तिलाफ़ात का शिकार हैं।नामवर साईंसदाँ स्टीफ़न हॉकिंग ने इंतिबाह दिया है कि दीगर सय्यारों की मख़लूक़ कर्राह उ़राज़ के वसाइल लौट कर ले जा सकती है।