पटना : लोकसभा में फाइनेंस वजीर अरुण जेटली की तरफ से जुमा को पेश इक्तेसादी सर्वे में भी बिहार की तरक्की को क़ुबूल किया गया है। माली साल 2005-06 से अब
तक रियासत सकल घरेलू उत्पाद में इजाफा हो रही है। 2008-09 में थी शानदार बढ़ोतरी…सबसे शानदार इजाफा 2008-9 में दर्ज की गई, जब यह अदाद 24.9 फीसद पर पहुंच गया था। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार उन रियासतों में शामिल है, जहां 30-40 फीसद देहि आबादी गरीबी लाइन से नीचे है। बिहार में सिर्फ 4.4 फीसद आबादी को नल का पानी नसीब है। इनमें से 50 फीसद लोगों को अपने घर में पीने के पानी मिल जाता है।
बाकी लोग सार्वजनिक नलों का इस्तेमाल करते हैं। 23.1 फीसद आबादी के पास अपने अहाते में बैतूल खुला दस्तयाब है। इस मामले में बिहार के मुकाबले में झारखंड की हालत बेहतर है। झारखंड में 12.9 फीसद आबादी को नल से पानी मिलता है। इनमें से 23.2 फीसद आबादी को अपने अहाते में ही नल मौजूद है। अहाते के अन्दर बने बैतूल खुला का इस्तेमाल करने वाली आबादी 22.0 फीसद है। वैसे मुल्क के सतह पर देखें तो सिर्फ 46.6 फीसद अहले खाना को अहाते के अंदर पीने के पानी की सहूलत है। 2011 की मर्दम शुमारी में बताया गया था कि मुल्क की 70 फीसद आबादी मलिन बस्तियों में रहती है। यानी उन्हें पानी से पैदा बीमारियों का सामना करना पड़ता है। मर्क़ज़ ने 2019 तक तमाम अहले खाना में साफ पानी और बैतूल खुला दस्तयाब कराने का वादा किया है। बिहार में नीतीश कुमार ने इन्तिखाब के दौरान सबको नल का पानी और बैतूल खुला देने का वादा किया था। वे इस पर अमल भी कर रहे हैं। देहि कौमी सेहत मिशन के मामले में झारखंड के पास माहिरों की कमी है। रियासत के लिए इस मंसूबा के तहत 776 माहिर चाहिए।