जेनरल जमीन का सही अदाद व शुमार हुकूमत के पास नहीं

झारखंड में जेनरल जमीन का सही अदाद हुकूमत के पास नहीं है। रेवनु और ज़मीन बेहतरी महकमा के पास सिर्फ ज़िराअत से मुतल्लिक़ जमीन के अदाद व शुमार हैं, जो क़ौमी ज़िराअत सेंसस के बाद तैयार हुए हैं।

रियासत में दर्ज़ फेहरिस्त ज़ात, क़बायली ज़ात, पसमांदा ज़ात और जनरल कास्ट की कितनी जमीन है। इसका पूरा तफ़सीलात नहीं है। आमदनी और ज़मीन बेहतरी महकमा की मानें, तो दारुल हुकूमत के अलावा खूंटी, गुमला, सिमडेगा में दर्ज़ फेहरिस्त ज़ात के रैयतों की ज़्यादा जमीन है। सिमडेगा, रामगढ़, देवघर, पाकुड़, गढ़वा, धनबाद और जामताड़ा को छोड़ दीगर जिलों में रैयतों की ज़मीन का तजवीज जिला इंतेजामिया ने नहीं किया है।

रामगढ़ और जामताड़ा समेत 19 जिलों में जनरल जमीन का कोई तफ़सीलात हुकूमत के पास नहीं है। रांची समेत जमशेदपुर, हजारीबाग, गुमला, लोहरदगा, पलामू, गढ़वा, बोकारो, चाईबासा, सरायकेला-खरसावां, साहेबगंज, गिरिडीह, कोडरमा, चतरा, खूंटी, लातेहार और गोड्डा में दर्ज़ फेहरिस्त ज़ात, क़बायली ज़ात, दीगर पसमांदा तबके की जमीन का तफ़सीलात हुकूमत के पास नहीं है। इन जिलों में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) एक्ट लागू है। इसकी वजह से तरक़्क़ी का काम मुतासीर हो रहा है। हुकूमत को गैर आदिवासी (जनरल जमीन) की क़ब्ज़े में इसे लेकर काफी दिक्कतें भी हो रही हैं।

इतना ही नहीं सीएनटी एक्ट के लागू रहने से एसटी, एससी, ओबीसी की जमीन की खरीद-फरोख्त पर हुकूमत ने रोक लगा रखी है। इन जमीन की खरीद-फरोख्त के लिए सख्त नियम हैं, जिनका पालन नहीं हो रहा है। संताल परगना में संताल परगना काश्तकारी एक्ट लागू है, वहां भी जमीन ट्रांसफर की अमल काफी टेढ़ी है।