लखनऊ, 04 फ़रवरी: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल्ला बोर्ड ने आज दावा किया कि मुस्लिम नौजवानों की बड़ी तादाद को दहश्तगर्दी के इल्ज़ामात में जेलों में बंद कर दिया गया है। उन के ख़िलाफ़ अब तक कोई चार्ज शीट भी दाख़िल नहीं की गई। 10 साल पहले इन मुस्लिम नौजवानों को घरों से उठा लिए जाने के बाद जेलों में बदं रखा गया है।
सदर मुस्लिम पर्सनल्ला बोर्ड मौलाना सय्यद मुहम्मद राबि हसन नदवी की ज़ेर-ए-सदारत मुनाक़िदा बोर्ड के आमिला इजलास में बेक़सूर मुस्लिम नौजवानों की बड़ी तादाद को जेलों में बदं रखने के मसले पर ग़ौर-ओ-ख़ौस किया गया। कई बरसों से मुस्लिम नौजवान किसी जुर्म के बगै़र जेल की सलाखों के पीछे बंद हैं।
मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के अस्सिटैंट जनरल सेक्रेटरी मौलाना अबदुर्रहीम क़ुरैशी ने कहा कि बोर्ड का दावा है कि बेक़सूर मुसलमानों के ख़िलाफ़ एक दुहा बाद भी वाहिद चार्ज शीट भी पेश नहीं की गई। ये जमहूरी मुल्क में मुस्लिम नौजवानों को किसी जुर्म के बगै़र सज़ा-ए-देना बाइस-ए-शर्म है। पुलिस 12 साल से जेलों में बंद मुस्लिम नौजवानों के ख़िलाफ़ चार्ज शीट पेश करने में बुरी तरह नाकाम होचुकी है।
इस के बावजूद ये नौजवान रिहाई को तरस रहे हैं। मुस्लिम पर्सनल्ला बोर्ड ने तमाम बेक़सूर मुस्लिम नौजवानों की फ़ौरी रिहाई और उन्हें मुआवज़ा देने का मुतालिबा किया। बोर्ड ने अदालतों से रिहाई हासिल करने वाले बेक़सूर मुस्लिम नौजवानों को मुआवज़ा देने पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि अदालतों की जानिब से रिहाई की सूरत में ऐसे नौजवानों को ना सिर्फ़ मुआवज़ा दिया जाना चाहिये बल्कि मुताल्लिक़ा ओहदेदारों के ख़िलाफ़ मुक़द्दमात दर्ज किए जाने चाहिये जिन्होंने इन मुस्लिम नौजवानों पर झूटे इल्ज़ामात लगाए थे।
गुज़िश्ता माह चीफ़ मिनिस्टर उत्तरप्रदेश अखिलेश यादव ने कहा था कि तमाम मुस्लिम नौजवानों को जिन्हें झूटे मुक़द्दमात में या दहश्तगर्दी के झूटे इल्ज़ामात के तहत बदं रखा गया है बहुत जल्द रिहा कर दिया जाएगा। समाजवादी पार्टी ने अपने इंतिख़ाबी मंशूर में वादा किया था कि जिन मुस्लिम नौजवानों को झूटे दहश्तगर्दी के इल्ज़ामात में माख़ूज़ किया गया उन्हें रिहाई दी जाएगी।
मुल्क भर की जेलों में बरसों से कई बेक़सूर मुस्लिम नौजवान पुलिस का ज़ुल्म-ओ-ज़्यादती का शिकार बन कर महरूसी की ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं। ऐसे नौजवानों के रिश्तेदारों ख़ासकर वालदैन ज़हनी तौर पर अज़ीयत नाक ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं। इसी दौरान एजेंसीज़ के मुताबिक़ दारुल उलूम नदवतुल उलमा लखनऊ में मुनाक़िदा इजलास में 51 रुक्नी मजलिसे आमिला के अरकान ने शिरकत की।
इजलास में मजलिसे आमिला ने इत्तिफ़ाक़ राय से मुस्लिम मुतल्लिक़ा के ताल्लुक़ से सुप्रीम कोर्ट के हालिया फ़ैसले पर अदम इत्मीनान का इज़हार किया। इस सिलसिले में कुछ निकात मर्कज़ी हुकूमत को पेश किए जाऐंगे। इस के इलावा मर्कज़ के तैयार किये हुए डायरेक्ट टैक्सेस कोड क़ानून पर भी ग़ौर किया गया। इस क़ानून का इतलाक़ मस्जिद मदरसा दरगाह और ख़ैराती इदारों पर भी होगा।
बोर्ड ने इस क़ानून की मुख़ालिफ़त की और कहा कि ये हक़बजानिब नहीं है। बोर्ड ने मस्जिद मदरसा दरगाह और ख़ैराती इदारों को इस क़ानून से मुस्तसना क़रार देने का मुतालिबा किया। मुसलमानों के लिए लाज़िमी निकाह रजिस्ट्रेशन क़ानून पर भी एतराज़ किया गया।
बोर्ड के रुकन डा. सय्यद क़ासिम रसूल इलयास ने कहा कि बोर्ड ने लाज़िमी निकाह रजिस्ट्रेशन क़ानून के ख़िलाफ़ हुकूमत से नुमाइंदगी करने का फ़ैसला किया है। इजलास में मौलाना कलब सादिक़ मौलाना अशरफ़ मौलाना निज़ामुद्दीन मौलाना ख़ालिद सैफुल्लाह रहमानी और दीगर ने शिरकत की। बोर्ड का आइन्दा इजलास /22 ता /24 मार्च उज्जैन में मुनाक़िद होगा।