ख़लीजी ममालिक कोवेत और सऊदी अरब में गै़रक़ानूनी हिंदुस्तानी वर्कर्स की वापसी पर तशवीश को ज़्यादा एहमीयत ना देते हुए हिंदुस्तान ने कहा कि अपना मौक़िफ़ दुरुस्त करने का ये बेहतरीन मौक़ा है और जेल की सलाखों के पीछे जाने से मुल्क वापसी ज़्यादा बेहतर है। वज़ीर-ए-आज़म कुवेत शेख़ जाबिर उल-मुबारक अलहम्द उल-सबाह चार दिन के दौरे पर आज नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। तवक़्क़ो है कि आला क़ियादत से बातचीत में ये मौज़ू भी उठाया जाएगा।
ज्वाइंट सेक्रेटरी (गल्फ़ रीजन) मृदुल कुमार ने कहा कि उन के ख़्याल में ये अच्छी बात है कि हिंदुस्तानी शहरियों को जेल में डालने की बजाय मुल्क वापिस भेज दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुताल्लिक़ा ममालिक के क़वानीन की ख़िलाफ़वर्ज़ी करने पर ही ये कार्रवाई की जा रही है।
ओवरसीज़ इंडियन अफयर्स के वज़ीर वायलार रवि ने कल कहा था कि अब तक 1.34 लाख शहरी मुल्क वापिस हो चुके हैं। विज़ारते उमूरे ख़ारिजा के तर्जुमान सय्यद अकबरुद्दीन ने कहा कि गै़रक़ानूनी वर्कर्स को भारी जुर्मानों के बगै़र वापसी और अपना मौक़िफ़ दुरुस्त करने का बेहतरीन मौक़ा था। मृदुल कुमार ने बताया कि जारिया साल 4500 ता 5000 हिंदुस्तानी शहरियों को कुवेत से वापिस भेजा गया। ये तादाद गुज़िशता साल के मुक़ाबले कम है। वज़ीर-ए-आज़म कुवैत के दौरे के बारे में उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान तेल की दौलत से मालामाल इस मुल्क के साथ बाहमी रवाबित को ख़रीदार – फ़रोख़त कुनिंदा, से बढ़कर एक नई-ओ-बुलंद सतह पर ले जाने का ख़ाहां है।
उन्होंने कहा कि दीगर कई शोबों जैसे तवानाई, सेक्यूरिटी, तिजारत और सरमायाकारी पर भी बातचीत होगी। ये हमारे लिए बहुत ही ख़ास दौरा होगा।