रांची : अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद ने झारखंड में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार पर रोक लगाने, सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन नहीं करने और दखल दिहानी द्वारा आदिवासियों की जमीन वापस दिलाने की मांग सरकार से की है़ परिषद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अरुण उरांव ने कहा कि सीएनटी एक्ट का उल्लंघन कर आदिवासी जमीन बेच कर उनकी जमीन पर गलत ढंग से गैर आदिवासियों को बसाने वाले दलालों को आदिवासी समाज नहीं बख्शेगा़
उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज अब जाग गया है.श्री उरांव रविवार को चुनवा टोली अखड़ा में आयोजित अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद व सरना समिति चुनवा टोली की संयुक्त बैठक को संबोधित कर रहे थे़ मौके पर महिला अध्यक्ष निरंजना हेरेंज टोप्पो, उपाध्यक्ष दिनेश मुंडा, सचिव संदीप तिर्की, महासचिव नारायण उरांव, प्रदीप कुजूर, संतोष तिर्की व चंपा कुजूर मौजूद थे.
आदिवासी जन परिषद की बैठक रविवार को करमटोली स्थित कार्यालय में हुई. इस मौके पर सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन अध्यादेश व दखल दिहानी सहित कई मामलों पर विचार-विमर्श किया गया. झारखंड से जुड़े मुद्दों को लेकर आंदोलन तेज करने की बात कही गयी. 22 अक्तूबर को आदिवासी संगठनों की महारैली को सफल बनाने का निर्णय लिया गया. सरकार से मांग की गयी है कि दखल दिहानी का विरोध करने वाले नेताअों पर कानूनी कार्रवाई की जाये.
परिषद के नेताअों ने कहा कि दखल दिहानी कानूनी प्रक्रिया है अौर यह कोर्ट के आदेश के अनुसार की जा रही है. इसका विरोध नहीं किया जाना चाहिए. परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट पर संशोधन अध्यादेश को सरकार वापस ले. हड़बड़ी में बिना बहस कराये इस अध्यादेश को लागू किया गया है. इसे झारखंड की जनता नहीं मानेगी. उन्होंने कांके के बुकरू मौजा में आदिवासी जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराने की भी मांग की.