झारखंड में अफसरों को एक मुकाम पर टिकने नहीं दिया जाता। इसके पहले कि नयी जगह, उनका तबादला कर दिया जाता है। साल में दो बार बड़े पैमाने पर तबादला तय है। यह किसी एक हुकूमत की बात नहीं है। रियासत में 14 साल में जितनी भी हुकूमत रही है, तमाम में ऐसा ही देखने को मिला है।
अदाद बताते हैं कि गुजिशता दो साल में कुल 3155 अफसरों का तबादला हुआ। अगर इसे औसत मान लिया जाये, तो गुजिशता 14 सालों में हुकूमत ने 22 हजार से ज़्यादा अफसरों का तबादला किया। जब भी कोई पार्टी ओपोजीशन में रहा, उसने इन तबादलों को ‘तबादला इंडस्ट्री ’ की ताबीर दी। दी., जब खुद इक्तिदार में आया, तो तबादलों की होड़ में शामिल हो गये। एक चीफ़ सेक्रेटरी ने साल में दो के बदले एक ही बार तबादला करने की सिफ़ारिश की थी, लेकिन इसे ठुकरा दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के हुक्म के में आइएएस अफसरों के तबादले के लिए आला सतही कमेटी बनानी थी, वह भी नहीं बनी।
सबसे ज़्यादा तबादले इंजीनियर, डॉक्टर व बीडीओ-सीओ के
गुजिशता दो साल के जो अदाद हैं (हालांकि ऐसा ही अदाद तकरीबन तमाम हुकूमतों के दौरान रहा है), उसके मुताबिक, मुखतलिफ़ महकमा में कुल 3155 अफसरों का तबादला किया गया। बदले गये इन अफसरों में सबसे ज़्यादा तादाद इंजीनियरों, डॉक्टरों और बीडीओ-सीओ की थी। इन दो सालों में कुल 1790 इंजीनियर, डॉक्टर और बीडीओ-सीओ का तबादला किया गया, जो बदले गये अफसरों का 56.73 फीसद था।
इस मुद्दत में 748 इंजीनियरों, 770 डॉक्टरों और 272 बीडीओ-सीओ का तबादला हुआ। हुकूमत ने जून 2013 में 394 अफसरों का तबादला किया। जुलाई 2013 में 355 अफसरों का तबादला किया। दिसंबर 2013 में 1125 अफसरों का तबादला किया। जून 2014 में 536 और जुलाई 2014 में 720 अफसरों का तबादला किया।
तबादले की चाबी वज़ीरों के हाथ में :
रियासत में लागू नियम के तहत ज़ाती महकमा वज़ीर अपने स्तर से साल में दो बार अपने महकमा के अफसरों का तबादला कर सकते हैं। जून-जुलाई और नवंबर-दिसंबर के अलावा किसी दूसरे महीने में तबादले के लिए वजीरे आला की मंजूरी जरूरी है। रियासत में लागू नियम के तहत तबादलों के लिए पहले एक आम नियम मुकर्रर करने की तजवीज है। इसमें यह तय किया जाता है कि कितने सालों से एक ही ओहदे पर मुकर्रर अफसरों का तबादला किया जायेगा। महकमा की तरफ से इसकी मुद्दत दो से तीन साल मुकर्रर की जाती थी। पर, मनपसंद अफसरों के तबादले के लिए ‘इंतेजामिया वजहों’ को हथियार बनाया जाता था। इसके तहत बगैर इंतेजामिया कारण बताये (जैसे काम में लापरवाही वगैरह ) ही एक अफसर का तबादला कर उसकी जगह किसी मनपसंद अफसरों को मुकर्रर कर दिया जाता है। कई महकमा ने इस दावं-पेच से बचने के लिए ‘अभ्यावेदन’ को बुनियाद बनाना शुरू किया। इसके तहत मुतल्लिक़ अफसर की बीवी, बेटा-बेटी वगैरह की तरफ से महकमा में दरखास्त लिया जाता है। इसमें पारिवारिक, सेहत जैसे वजहों का ज़िक्र करते हुए किसी खास मुकाम पर मुकर्रर करने की दरख्वास्त किया जाता है। इसके बाद महकमा इसे कुबूल कर मुतल्लिक़ अफसर को उसके मनपसंद जगह पर मुकर्रर कर देता है।