झूटी शान-ओ-शौकत की नुमाइश के लिए मुक़ाबले से मुस्लिम मुआशरे को नुक़्सान

ज़ाहिद अली ख़ान एडीटर रोज़नामा सियासत ने मुसलमानों पर ज़ोर दिया कि वो अपनी मईशत को तबाही-ओ-बर्बादी से बचाने के लिए शादी बियाह की तक़ारीब में इसराफ़ और फुज़ूलखर्ची को तर्क कर दें वो इदारा सियासत-ओ-माइनॉरिटीज़ डेवलपमेंट फ़ोरम के ज़ेरे एहतेमाम महबूब हुसैन जिगर हाल में मुनाक़िदा पुर हुजूम दू बा दू मुलाक़ात प्रोग्राम के जलसे को मुख़ातब कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि मुस्लिम दुश्मन ताक़तें चाहती हैंके मुस्लमान मआशी तौर पर कमज़ोर होजाएं अगर हम इस तरह अपनी शादीयों में इसराफ़ करते रहें तो फिर मुस्लिम दुश्मन कुव्वतों को तक़वियत मिलेगी।

उन्होंने वालिदैन-ओ-सरपरस्तों को मश्वरह दिया कि वो अपने लड़कों और लड़कीयों की शादीयों में अहम तीन पहलों को पेशे नज़र रखें जिन में घोड़े जोड़े की रक़म को यकसर तर्क कर देना जहेज़-ओ-लेन देन पुर इसरार ना करना और बड़े-ओ-महीनगे शादी ख़ानों में तक़ारीब के एहतेमाम से गुरेज़ करना शामिल है।

ज़ाहिद अली ख़ान ने कहा कि हमारी शादियां महिज़ दूसरों पर अपनी दौलत का रोब जमाने के लिए होगई हैं। लाखों रुपये सिर्फ़ स्टेज की सजावट और दुसरे ग़ैर ज़रूरी उमोर पर ख़र्च की जा रही हैं जिस से पूरा मुस्लिम समाज मुतास्सिर हो रहा है।

मुतवस्सित-ओ-ग़रीब तबक़े के लोग सख़्त परेशान हैं और अमीर-ओ-ग़ीरीब मुस्लमान के दरमयान ख़लीज बढ़ती जा रही है। इस लिए उन्होंने शादी के रोज़ के खाने को तर्क करने के लिए एक तहरीक का आग़ाज़ किया है जिस में उनके साथ साथ एम डी एफ़ के कई रुकन भी शामिल हैं।

इस तहरीक के समर आवर नताइज बरामद हो रहे हैं। ज़ाहिद अली ख़ान ने कहा कि ग़ैर मुस्लिम तबक़ात की शादियां सादगी के साथ मनाई जाती हैं जिन में हिंदू सिख और ईसाई भी शामिल हैं। ये तबक़ात झूटी शान-ओ-शौकत और नाम निहाद इज़्ज़त से गुरेज़ करते हैं जबकि इस के बरअक्स हमारी शादियां हमारे मज़ाक़ का मूजिब बन गई हैं।

उन्होंने इस बात पर तशवीश का इज़हार किया कि बाज़ मुस्लमान इस क़दर चापलूसी इख़तियार कर रहे हैंके दावत नामों पर अपने नाम-ओ-नमूद के लिए सियासी क़ाइदीन का नाम ज़ेर सरपरस्ती की हैसियत से शाय कर रहे हैं ताकि अपने रिश्तेदार दोस्त अहबाब पर अपने सियासी असर का सिक्का जमा सकीं। उन्होंने कहा कि हालिया अर्सा में इस तरह के दावत नामे ख़ुद उनके ज़ेर नज़र रहे हैं जिस का उन्हें बड़ा अफ़सोस है।

ज़ाहिद अली ख़ान ने कहा कि इदारा सियासत और एम डी एफ़ की तरफ से पिछ्ले पाँच बरसों के दरमयान 4500 से ज़ाइद शादियां तए करवाई गई और ये काम रज़ाए इलहि के हुसूल और जज़बा ख़िदमत के तहत अंजाम दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दू बा दू प्रोग्राम की मक़बूलियत आलमगीर सतह तक पहुंच गई है। चुनांचे 345 मुल्कों के 3500 शहरों में मुक़ीम 18 लाख सत्तर हज़ार सियासत के क़ारईन जिन में से बेशतर हैदराबादियों ने दू ब दू मुलाक़ात प्रोग्राम से इस्तेफ़ादा करने की ख़ाहिश का इज़हार किया है।