बीजेपी के प्रोजेक्टेड वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी को न तो मुल्क की तारीख मालूम है न जुगराफिया (भूगोल) उनकी जनरल नालेज भी ऐसी है कि उसके सहारे आठवी क्लास का इम्तेहान भी न पास कर सके वह सिर्फ लफ्फाजी करने और झूट बोलने में माहिर हैं। इन दोनो कामों में शायद उन्होंने पीएचडी ( PHD) हासिल की है।
वह मुल्क की रवायात, तहजीब, कल्चर से भी वाकिफ नहीं है। वह अब गुण्डोें जैसी जुबान बोलने लगे हैं। पटना की हुंकार रैली में मोदी ने खुद कहा कि वह ट्रेनों में चाय बेचने का काम करते थे। इसी के साथ पटना में वह जो कुछ बोले उसे सुनकर साफ लगा कि वह भले ही आरएसएस की तशहीर करते करते गुजरात के चीफ मिनिस्टर बन चुके हैं कोई तेरह सालों से हुकूमत कर रहे हैं। मुल्क के बड़े थैलीशाहों के काले धन के पूरी तरह मालिक बन कर महंगे डिजाइनदार कपड़े पहनने लगे हो, ज़हनी तौर पर अभी तक वह एक मामूली चाय बेचने वाले की जहनियत से ऊपर नहीं उठ सके हैं।
खुद को एक सकाफती तंजीम कहने वाले आरएसएस से निकले नरेन्द्र मोदी को हिन्दुस्तान की सकाफत और तहजीब का इतना भी इल्म नहीं है कि अगर किसी पर कोई एहसान किया जाता है या किसी की दावत की जाती है तो आवाम के सामने खड़े होकर उसको बयान नहीं किया जाता। खाना खिलाकर उसका बयान करना इंतेहाई लुच्चे किस्म के लोगों का काम है। पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भट्ट के बेटे की शादी में नितीश कुमार गांधीनगर गए थे उस शादी में नरेन्द्र मोदी भी थे।
जस्टिस भट्ट ने दोनों को एक ही मेज पर बिठा कर खाना खिलाया। पटना रैली में नरेन्द्र मोदी ने छोटे पन की तमाम हदें तोड़ते हुए आवाम के सामने बयान किया कि नितीश गांधीनगर गए थे तो उन्होंने (मोदी ने) उन्हें क्या-क्या खाना खिलाया। जो शख्स इस हद तक गिर कर बात कर सकता है वह भला मुल्क का वजीर-ए-आजम बन कर मुल्क का क्या-क्या हश्र करेगा।
चूंकि नरेन्द्र मोदी ज्यादा पढ़े लिखे नहीं है और चाय बेचने वाले बच्चे के जेहन से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं इसलिए उन्हें पढ़े लिखों और मोहज्जब लोगों जैसी जुबान भी नहीं आती। इसीलिए पटना रैली में उन्होंने अपने लोगों से बार बार कहा कि बीजेपी की मुखालिफत करने वालों को चुन-चुन कर खत्म करना है।
इस रैली में उन्होंने हर जुम्ले में अपने अनपढ़ / ज़ाहिल होने का सबूत दिया। उन्होंने चन्द्र गुप्त मौर्य को गुप्त दौर का राजा बताया तो तक्षशिला को भी बिहार का हिस्सा बता डाला जबकि तक्षशिला पाकिस्तान में है। मोदी को तारीख की इतनी मालूमात है कि उन्होंने कह दिया कि सिकंदर ने गंगा किनारे आकर डेरा डाला था। जबकि हकीकत यह है कि सिकंदर सतलुज से आगे बढ़ ही नहीं सका था।
इससे पहले मोदी एक बड़ा झूट बोलते हुए कह चुके थे कि मुल्क के पहले वजीर-ए-आजम जवाहर लाल नेहरू अपने ही होम मिनिस्टर सरदार पटेल की अर्थी के जुलूस तक में शामिल नहीं हुए थेे। कांग्रेस जनरल सेक्रेटरी दिग्विजय सिंह ने जब पटेल की अर्थी के जुलूस में शामिल नेहरू और दीगर लीडरान की वीडियो क्लीपिंग जारी कर दी तो मोदी को जैसे सांप सूंघ गया।
बिहार के वजीर-ए-आला नितीश कुमार चूंकि 17 सालो तक आरएसएस और बीजेपी लीडरान के हमप्याला रह चुके हैं इसलिए वह संघियों के तमाम झूटे हर्बों से खुद वाकिफ हैं। इसीलिए नितीश ने पटना रैली में मोदी के जरिए बोले गए झूट को पकड़ लिया और तीसरे ही दिन मोदी की सारी पोल पट्टी खोल दी बीजेपी और मोदी की तरफ से नितीश की बातों का कोई जवाब नहीं आया।
मोदी किस हद तक झूट बोल सकते हैं इस बात का भी सुबूत उन्होंने पटना की रैली में यह कहकर दे दिया कि वजीर-ए-आजम मनमोहन सिंह की एक दावत में वह और नितीश कुमार दोनों एक ही मेज पर बैठे थे, खाना लगा तो नितीश नहीं खा रहे थे और इधर उधर देख रहे थे मैं उनकी परेशानी भांप गया और उनसे कहा कि खाइए यहां कैमरे वाले नहीं है तब उन्होंने खाना खाया। यह कहते वक्त मोदी यह भूल गए कि वजीर-ए-आजम की दावत या दूसरे जलसों पर क्लोज सर्किट कैमरों की नजर रहती है और उसका पूरा रिकार्ड रखा जाता है। बाद में खुद नितीश कुमार ने कहा कि वजीर-ए-आजम की किसी भी दावत में वह मोदी के साथ एक मेज पर बैठे ही नहीं।
मोदी खुद को अभी से इतना ताकतवर वजीर-ए-आजम मानने लगे हैं कि वह लालू यादव के जेल जाने की वजह से बिहार के यादवों का हर तरह से साथ देने और उन्हें मजबूत बनाने की बात करने लगे। उन्होंने कहा कि बिहार में यदुवंशी भाइयों को डरने और परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है, यदुवंशियों के देवता भगवान श्रीकृष्ण गुजरात के द्वारिका चले गए थे उसी द्वारिका से वह (मोदी) बिहार के यदुवंशियों के लिए दुआएं लेकर आया हूं।
इस तरह उन्होंने भगवान कृष्ण को यादवो तक महदूद कर दिया और बिहार के यादवों को यकीन दिलाने की कोशिश की कि अगर लालू यादव जेल में हैं तो कोई बात नहीं अब मोदी ही उनके मसीहा होंगे। इस तरह मोदी ने यह बताने की कोशिश की कि बैकवर्ड घर में पैदा होेने के बाद चाय बेचते हुए वह यहां तक पहुंचे हैं तो मुल्क के तमाम बैकवर्ड तबको के मसीहा वही बन गए।
यही उनका घमंड है। कांग्रेस के अजय माकन ने सही कहा कि मोदी के पास कोई इल्म न होकर सिर्फ घमंड है। नरेन्द्र मोदी जब कहीं भी किसी भी जगह तकरीर करते हैं तो उनकी तकरीर का लेहजा बेहद मगरूर और घमण्ड से भरा होता है। पटना में तो उन्होंने अपनी रैली का नाम ही ‘‘हुंकार रैली’’ रखा था। जिसके बारे में नितीश ने कहा कि इसके तो नाम से ही घमंड टपक रहा है।
चूंकि नितीश 17 सालो तक आर एस एस के साथ रहकर उनके तमाम हर्बे सीख चुके हैं इसीलिए उन्होंने मोदी की पूरी तकरीर का पोस्टमार्टम करके रख दिया। उन्होंने कहा कि मोदी रैली में ‘‘चुन चुन कर साफ करना है’’ जैसी ज़ुबान बोल रहे हैं जिससे साफ होता है कि वह बिहार में भी फिर्कावाराना फसाद करवाना चाहते हैं मगर उनके इरादों को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।
नरेन्द्र मोदी ने अपनी तकरीर में ज्यादातर झूट ही बोला है। अभी बहुत दिन नहीं हुए हैं पांच सितम्बर को टीचर्स डे के मौके पर एक स्कूल के प्रोेग्राम में बच्चों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा था कि वह वजीर-ए-आजम बनने का ख्वाब नहीं देखते हैं, मगर अपनी पटना रैली में वह अपनी ही कही बात को भूल गए और अवाम से खुद को वजीर-ए-आजम बनाने की अपील करने लगे और साठ महीनों में मुल्क की हालत बदलने का दावा करने लगे मगर पूरी तकरीर में उन्होंने यह नहीं बताया कि उनके पास मुल्क की तरक्की का क्या प्रोग्राम है।
सच्चाई यह है कि नरेन्द्र मोदी के पास सिवाए झूट और लफ्फाजी के कुछ नहीं है लेकिन बगैर किसी ठोस प्रोग्राम के सिर्फ झूट और लफ्फाजी के जरिए मुल्क का वजीर-ए-आजम बन पाना आसान नहीं है। सत्ताइस अक्टूबर को पटना के तारीखी गांद्दी मैदान में अपनी पार्टी की रैली को खिताब करते हुए पीएम इन वेटिंग जूनियर नरेन्द्र मोदी ने अपनी आदत के मुताबिक अपनी तकरीर में जमकर गलत बयानी की जिससे साबित हुआ कि कांग्रेस जनरल सेक्रेटरी दिग्विजय सिंह उन्हें क्यों ‘‘फेंकू’’ कहते हैं।
अपनी तकरीर में नरेन्द्र मोदी ने बिहार के वजीर-ए-आला नितीश कुमार पर जमकर निशाना साद्दा। जिसका मुंहतोड़ जवाब राजगीर के ‘‘चिंतन शिविर’’ में देते हुए नितीश कुमार ने नरेन्द्र ‘‘फेंकू’’ के कई झूट पकड़े । उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी उन्हें पानी पी पी कर कोस रहे थे। नरेन्द्र मोदी जब तकरीर दे रहे थे तो वहां मौजूद सभी लोग उनकी उल्टी-सीद्दी बातों को सच मानकर तालियां बजा रहे थे लेकिन जब चिंतन कैम्प में बिहार के वजीर-ए-आला नितीश कुमार ने मोदी के झूट और ‘‘इल्म’’का पुलिंदा खोला तो लोग दंग रह गए लेकिन अब भी कुछ लोग उसी को सच मानते हैं जो मोदी बोलते हैं क्योंकि उनकी अक्ल पर भी फिरकापरस्ती का चश्मा चढ़ चुका है।
मोदी की रैली के नाम को लेकर भी नितीश कुमार ने चुटकी ली और कहा इसका नाम रखा गया था हुंकार रैली इस नाम से ही तकब्बुर टपकता है। उन्होंने रैली में मोदी की तरफ से एलक्शन में चुन-चुन कर साफ करने जैसे लफ्जों के इस्तेमाल पर एतराज किया और कहा कि जर्मनी के डिक्टेटर हिटलर जैसी जबान बोली जा रही है।
नितीश कुमार ने कहा कि जम्हूरियत में सियासी लड़ाई लड़ते हैं मुखालिफीन का खात्मा नहीं करते हैं। अपनी तकरीर में नरेन्द्र ‘‘फेंकू’’ मोदी ने जनता दल यूनाइटेड के बीजेपी से रिश्ते खत्म करने की असल वजह को छुपाते हुए लफ्जी बाजीगरी दिखाते हुए कहा कि जिसने (नितीश ने) जेपी (जय प्रकाश नरायण) को छोड़ दिया उसने अगर बीजेपी को छोड़ दिया तो इसमें हैरत क्या। उनकी इस बात पर सख्त एतराज करते हुए नितीश कुमार ने उल्टे सवाल किया कि हमने (नितीश ने) कब जेपी को छोड़ा? वह कहते हैं नरेन्द्र मोदी बताएं जो जेपी के साथ दगा किसाने किया किसने उनकी पीठ में छुरा घोंपा। नितीश कहते हैं कि चूंकि जेपी और बीजेपी लफ्ज की तुकबंदी है इसलिए यह इल्जाम जड़ दिया कि हमने जेपी को छोड़ा।
नितीश ने बिहार के बाढ़ मुतास्सिरीन को दी गई इमदाद का जिक्र करने के लिए भी मोदी को खूब लताड़ा। उन्होंने कहा कि दान का बखान नहीं होता मगर छोटी जहनियत के लोग ऐसा करने से नहीं चूकते हैं। वह कहते हैं कि मोदी ने कहा कि हमने मुसीबत के वक्त मदद की, तो हमने उनके पांच करोड़ रूपये यह कहते हुए लौटा दिए कि आप जैसों की मदद नहीं चाहिए। इसके अलावा उन्होंने मोदी पर गुजरात में उनकी मेहमान नवाजी की बात को झूटा करार दिया। उन्होंने कहा कि हम दोनों बिहार के एक जज के खानदान में गुजरात में हुई शादी में मेहमान थे और मुझे उनकी तरफ से मिठाई खिलाने की कहानी झूटी है।
उन्होंने कहा कि क्या कोई जब खाना खिलाता या दावत देता है तो उसका बखान करता है क्या यही हिन्दुस्तान की तहजीब है। नितीश ने कहा कि वह यहां तकरीर के दौरान अवाम को झूटे किस्से सुना रहे है। नितीश ने कहा कि इसी तरह कहानी सुनाने वाले आसाराम जो मोदी की ही रियासत के है उनका क्या हश्र हुआ मोदी को इससे सबक लेना चाहिए। नितीश ने नरेन्द्र मोदी की चाय बेचने वाली बात पर कहा कि उन्हें ट्रेन में चाय बेचने का तजुर्बा तो नहीं है मगर वह भी एक मामूली किसान खानदान से हैं।
नितीश कुमार ने मोदी के यही झूट नहीं पकड़े बल्कि कई और ऐसी बातो का जिक्र किया मोदी ने जिनके बारे में अपनी तकरीर में झूट कहा था। नितीश ने नरेन्द्र मोदी की चुटकी लेेते हुए कहा कि बीजेपी ने जिस शख्स को वजीर-ए-आजम का उम्मीदवार बनाया है उसका इल्म तारीख के मामले में ‘‘हैरतअंगेज’’है। मोदी का मजाक उड़ाते हुए नितीश ने कहा कि मोदी इतने ‘‘काबिल’’ है कि उन्होंने अपनी तकरीर में सिकंदर को गंगा नदी तक पहुंचा दिया जबकि वह सतलुज नदी तक ही पहुंचा था।
उन्होंने अपनी तकरीर में चन्द्रगुप्त मौर्य को ‘‘गुप्त वंश’’ का हुक्मरां बताया जबकि वह ‘‘मौर्य वंश’’ के बानी थे। यहां तक कि तक्षशिला को बिहार में बता गए जबकि वह पाकिस्तान में है। इसी से पता चलता है कि नरेन्द्र मोदी को कितनी मालूमात है। दरअस्ल मोदी जहां भी तकरीर करते हैं उसमे सत्तर-अस्सी फीसद झूट ही होता है और उनकी हर तकरीर के बाद उनके झूट पकड़े जाते हैं मगर वह इतने दीदा दिलेर हैं कि झूट बोलने की अपनी आदत से बाज नहीं आते हैं।
नितीश ने मोदी की ब्राडिंग का भी मजाक उड़ाया और कहा कि आज मोदी के हक में जो हवा बनाई जा रही है वह असली और कुदरती नहीं है बल्कि बनावटी और ब्लोअर की हवा है। उन्होंने क हा कि मोदी हिटलर जैसा तानाशाही भरा बर्ताव करते हैं और ऐसा फासीवादी शख्स मुल्क का वजीर-ए-आजम नहीं बन सकता। इस पर बाद में बीजेपी ने नितीश के जरिए मोदी को हिटलर और फाशिस्ट कहे जाने पर सख्त नाराजगी जाहिर की।
चिंतन शिविर में नितीश ने यह तो नहीं कहा कि गरीब घर के मोदी एयरकंडीशन में ही रहने के आदी है, लेकिन मंच पर नरेन्द्र मोदी के बार-बार पसीना पोछने और पानी पीने का भी मजाक उड़ाया और पूछा कि आखिर उन्हें इतना पसीना क्यों आ रहा था वह किस बात से घबरा रहे थे, क्या बेचैनी थी उनको जो वह बिहार सरकार को पानी पी-पीकर कोस रहे थे। उन्होंने कहा कि जो शख्स वजीर-ए-आजम बनने का ख्वाब देख रहा हो उसे थोड़ा साबिर होना चाहिए। गौर तलब है कि तकरीर में गलत हकायक को लेकर पहले भी मोदी की रूसवाई हो चुकी है।
एक तकरीर में उन्होंने कह दिया था कि चीन जीडीपी का बीस फीसद हिस्सा तालीम पर खर्च करता है लेकिन हकीकत यह है कि चीन ने तालीम पर खर्च में बीस फीसद का इजाफा किया था और यह कुल जीडीपी का तकरीबन चार फीसद ही था। नितीश कुमार ने कहा तीन-तीन बार पूछा जा रहा है कि अपने मुखालिफीन को चुन-चुन कर साफ करोगे? मैं होश में कहता हूं। माहौल को बिगाड़ने की कोशिश हो रही है। नितीश कुमार ने कहा कि रियासत में फिर्कावाराना माहौल किसी भी कीमत पर बिगड़ने नहीं दिया जाएगा।
हिन्दू मुस्लिम एत्तेहाद को बरकरार रखने के लिए वह हर कुर्बानी देने को तैयार है। बीजेपी की तरफ से हुंकार रैली को सबसे बड़ी रैली के तौर पर पेश किए जाने पर नितीश कुमार ने कहा कि बिहार के हक की लड़ाई के लिए मुनअकिदा अद्दिकार रैली का रिकार्ड न टूटा है और न टूटेगा क्योंकि वह रैली अवाम के जज्बात की रैली थी। वजीर-ए-आला ने रैली के दौरान सिलसिलावार बम द्दमाकों का जिक्र करते हुए कहा कि वह जाती तौर पर इसके मुजरिम नहीं है। बिहार सरकार कौमी जांच एजेंसी (एनआईए) को हर मुमकिन तआवुन कर रही है। उन्होंने कारकुनो को लोकसभा एलक्शन की तैयारी के लिए गांव-गांव में अभी से ही तैयार रहने के साथ ही हिन्दु-मुस्लिम एत्तेहाद को बिगाड़ने वालों से भी होशियार रहने को कहा।
नरेन्द्र मोदी की तकरीर में बोले गए झूट और उन झूट की नितीश कुमार के जरिए निशानदेही किए जाने से यह बात एक बार फिर साफ हो गई कि कांग्रेस जनरल सेक्रेटरी दिग्विजय सिंह मोदी को ‘‘फेंकू’’ बिला वजह नहीं कहते हैं। दरअस्ल जब से मोदी ने अपने आपको वजीर-ए-आजम का उम्मीदवार प्रोजेक्ट कराया है तब से वह बहुत जल्दी में है और झूटी लफ्फाजी के जरिए दिल्ली पहुंचने का ख्वाब देख रहे हैं। यह वही नरेन्द्र मोदी है जो पांच सितम्बर को टीचर्स डे के मौके पर हुए प्रोग्राम में एक बच्चे के सवाल पर कहते हैं कि वह प्राइम मिनिस्टर बनने का ख्वाब नहीं देखते हैं और 2017 तक गुजरात की खिदमत करेंगे, वही मोदी पटना की अपनी रैली के दौरान अपने लिए साठ महीने मांग रहे थे। यही है उनका अस्ल ढोगी और झूटा चेहरा लेकिन इन साठ महीनों में वह मुल्क में कैसे तरक्की की गंगा बहाएंगे, इसके लिए उनके पास क्या प्रोग्राम है उसका जिक्र नहीं करते हैं, तो इसकी भी वजह साफ है वह यह कि उनके पास मुल्क की तरक्की का कोई प्रोग्राम या रोड मैप नहीं है। बस वह किसी भी कीमत पर वजीर-ए-आजम बनना चाहते हैं लेकिन अस्ल सवाल वही है कि ऐसे झूटे शख्स पर कौन पार्टी यकीन करेगी और कैसे नरेन्द्र मोदी का ख्वाब पूरा होगा। (हिसाम सिद्दीकी)
—————–बशुक्रिया: जदीद मरकज़्