डीजीटल टेक्नोलॉजी के बगै़र जर्मनी में ज़राअत अब नाक़ाबिले तसव्वुर

गाय कब अपने नर के साथ मिलाप के लिए तैयार होगी, बछड़े को जन्म कब देगी, फ़सल तैयार कब होगी और किस बीज के लिए ज़रई मशीनों की प्रोग्रामिंग कैसे करनी है, जर्मनी में इन सब कामों के लिए आजकल डीजीटल टेक्नोलॉजी इस्तेमाल हो रही है।

इस तरह की टेक्नोलॉजी से इस्तिफ़ादा करने वालों में जर्मन शहर बेलेफेल्ड के मुज़ाफ़ात में आबाद जर्मन काश्तकार डेनिस सटरोथ लियोके भी शामिल है। बुनियादी तौर पर वो एक डेयरी फ़ार्म का मालिक है और गुज़िश्ता चंद बरसों से डीजीटल टेक्नोलॉजी की मदद ले रहा है।

इस अड़तीस साला किसान के साथ साथ उस के कई साथी जर्मन काश्तकारों की नज़र में भी अब इस टेक्नोलॉजी के बगै़र वो अपने काम का तसव्वुर भी नहीं कर सकते।

जर्मन न्यूज़ एजेंसी डी पी ए ने अपनी एक ताज़ा रिपोर्ट में डेनिस सटरोथ लियोके के डेयरी फ़ार्म की तफ़सीलात बताते हुए लिखा है कि दरमियानी दर्जे के इस फ़ार्म में कोई 135 गायें हैं।

पहले ये चारों तरफ़ से बंद एक ऐसे बाड़े में खड़ी होती थीं, जिसे अशरों पहले तामीर किया गया था। 2012 में इन किसानों ने एक जदीद और खुला बाड़ा तामीर किया। अब इस फ़ार्म की गायें इन दोनों बाड़ों के दरमयान आज़ादाना चलती फिरती नज़र आती हैं।