डी जी पी दिनेश रेड्डी के असासा जात की तहकीकात का हुक्म

रियासत के डायरेक्टर जनरल पुलिस वि दिनेश रेड्डी को आज उस वक़्त एक धक्का लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने सी बी आई को हिदायत दी कि वो उनकी जायदाद और असासा जात की तहकीकात करे।

अदालत ने रियासत के एक और आई पी एस ओहदेदार ऊमेश कुमार की तरफ से दायर करदा एक दरख़ास्त पर समाअत के बाद ये हिदायत दी है।

ऊमेश कुमार भी रियासत के डायरेक्टर जनरल पुलिस बनना चाहते थे ताहम रियासती हुकूमत ने उन्हें नज़रअंदाज करते हुए दिनेश रेड्डी को रियासती पुलिस सरबराह के ओहदा पर फ़ाइज़ करदिया था।

ऊमेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में एक दरख़ास्त दायर करते हुए इस्तिदा की थी कि दिनेश रेड्डी और उनकी शरीक हयात कमला रेड्डी और उनके रिश्तेदारों ने जो जायदादें और असासाजात हासिल करलिए हैं उनकी तहकीकात करवाई जानी चाहिऐं।

ऊमेश कुमार की दरख़ास्त की समाअत करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस एहसास का इज़हार किया कि कोई शख़्स कितने ही आला तरीन ओहदे का हामिल हो अगर इस के ख़िलाफ़ इस तरह के इल्ज़ामात आइद किए जाते हैं तो उसे तहकीकात का सामना करना चाहीए।

अदालत ने ताहम दरख़ास्त गुज़ार को भी एक झटका देते हुए हुक्म दिया है कि उनके ख़िलाफ़ भी जाली दस्तख़त करने का जो मुक़द्दमा है उसकी भी तहकीकात होनी चाहिऐं।

वाज़िह रहे कि जब रियासत में डायरेक्टर जनरल पुलिस का ओहदा तक़र्रुर तलब हुआ था तो दिनेश रेड्डी और ऊमेश कुमार दोनों ही इस ओहदे के खोह हिना थे।

उस वक़्त मिस्टर ऊमेश कुमार रियासती मोतमिद दाख़िला की हैसियत से ख़िदमात अंजाम दे रहे थे। ताहम ऊमेश कुमार को नज़रअंदाज करते हुए रियासती हुकूमत ने दिनेश रेड्डी को इस ओहदे पर फ़ाइज़ करदिया था।

उस वक़्त से रियासत के दोनों ही से नर आई पी एस उहदेदारान एक दूसरे के ख़िलाफ़ नबरदआज़मा हैं। ऊमेश कुमार ने अदालत में दरख़ास्त दायर करते हुए इल्ज़ाम लागया था कि दिनेश रेड्डी ने अपनी शरीक हयात के नाम पर और कई बेनामी असासाजात बनाए हैं और काफ़ी जायदादें भी उन्होंने हासिल करली हैं।

दिनेश रेड्डी का भी दूसरी तरफ इल्ज़ाम था कि ऊमेश कुमार महिकमा पुलिस में जूतों की खरीदी के एक स्क़ाम में जाली दस्तख़त करने के मुक़द्दमा में माख़ूज़ हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाते हुए जहां दोनों ही ओहदेदारों को तहकीकात का सामना करने को कहा है वहीं अदालत ने हिदायत दी है के इन दोनों के माबेन जो एतेराज़ात हैं उन्हें ट्रायल कोर्ट में हल किया जा सकता है। वाज़िह कि ये पहला मौक़ा है जब सुप्रीम कोर्ट ने एक मुक़द्दमा में दो अलैहदा नवीत के फैसले सुनाए हैं।