पाकिस्तानी सदर (राष्ट्रपती ) आसिफ़ अली ज़रदारी ने नाटो मीटिंग के दौरान अमेरीका पर दबाओ डाला है कि अमेरीकी ड्रोन हमलों का कोई मुस्तक़िल (स्थाई) हल निकाले। वाज़िह रहे कि इस मुआमले पर दोनों के दरमयान ताल्लुक़ात ख़राब नहीं है। ज़रदारी के तर्जुमान फ़र्हत उल्लाह बाबर ने सदर (राष्ट्रपती ) की अमेरीकी वज़ीर-ए-ख़ारजा (विदेश मंत्री ) हिलारी क्लिन्टन से मुलाक़ात के बाद बताया कि सदर (राष्ट्रपती ) ने कहा है कि पाकिस्तान ड्रोन मुआमले का मुस्तक़िल (स्थाई)हल चाहता है ।
क्योंकि इस से ना सिर्फ हमारे इक़तिदार आला की खिलाफवर्जी है बल्कि इस से अवामी जज़बात भी भड़कते हैं । ब्यान में ये वज़ाहत (स्पष्ट) (स्पष्ट) नहीं की गई कि आख़िर वो हल क्या होगा। जब से 2009 में सदर (राष्ट्रपती ) बराक ओबामा ने इक़तिदार सँभाला है ड्रोन हमले काफ़ी बढ़ गए हैं। अमेरीका पाकिस्तान में जंगजूओं से लड़ने में इस हिक्मत-ए-अमली को मर्कज़ी एहमीयत देता है क्योंकि इस में आमने सामने लड़ना नहीं पड़ता और अमेरीकी फ़ौज को कोई नुक़्सान नहीं होता।
ज़रदारी ने अमेरीका से नवंबर में हुए इस फ़िज़ाई हमले के बारे में भी मज़ीद कार्यवाई करने की दरख्वास्त की है जिस में अफ़्ग़ान सरहद के नज़दीक 24 पाकिस्तानी फ़ौजीयों को हलाक कर दिया गया था और बाद में अमेरीका ने कह दिया था कि वो ग़लती से मारे गए हैं। पाकिस्तान ने इस वाक़िया के लिए आल सतही (उच्च स्तरीय) माफ़ी का मुतालिबा किया था । मगर अमेरीका ने अभी तक ऐसा नहीं किया है।
पाकिस्तानी लीडर ने आख़िरी लमहात में नाटो सरबराह कान्फ़्रैंस में शिरकत का दावतनामा क़बूल कर लिया था। ये कान्फ़्रैंस तवील (लम्बी) अफ़्ग़ान जंग के बाद नाटो के वहां से निकलने का प्रोग्राम तैय्यार करने के बारे में हो रही है। इमकान है कि यहां मग़रिबी (पश्चिमी ) रहनुमा (लीडर) उन पर दबाव डालेंगे कि वो अफ़्ग़ानिस्तान में करज़ई हुकूमत और नाटो फ़ोरसेज़ पर हमले करने वाले जंगजूओं की लगाम कसे।
पाकिस्तान ये कहता है कि इस ने जंगजूओं के ख़िलाफ़ बहुत लड़ाई की है और इस के सैकड़ों फ़ौजी अपनी जान गंवा चुके हैं। ताहम (लेकिन) ऐसा लगता है कि ज़रदारी के मुतालिबात मानने के बजाय नाटो लीडर इस बात पर ज़ोर डालेंगे कि पाकिस्तान अफ़्ग़ानिस्तान के लिए नाटो के फ़ौजीयों की रसद (साज-ओ-सामान) का रास्ता फिर से खोल दे।