आसाम में फ़िर्कावाराना फ़सादाद और वहां के बुनियादी हक़ायक़ से ज़ाहिर होता है कि आज का सियासतदां और इस की हुक्मरानी अबतरी से दोचार(परेशान) है।
नसली तसादुम में मुस्लमानों की हलाकत और सैंकड़ों अफ़राद(लोगो) को बेघर बनाए जाने के वाक़ियात बिलाशुबा अफ्रीकी मुल्कों में रौनुमा होने वाले वाक़ियात का आईना मालूम होते हैं।
आसाम का समाजी मंज़र कम-ओबेश(हाल) अफ्रीकी मुल्कों की तरह है जहां ख़ानाजंगी , नसली तसादुम में मज़लूम इंसानों की जानें ज़ाए हो रही हैं ।
सैंकड़ों घर उजड़ रहे हैं मगर इस इंसानी तबाही को रोकने के लिए कोई आगे नहीं आरहा है । आसाम में इस वक़्त लाखों अवाम बेघर , बेसहारा होचुके हैं, उन की ज़िंदगी को मामूल पर लाने के लिए कोई क़दम नहीं उठ रहा है, ये एक अलमीया से कम नहीं है