कहा जाता है की अल्लाह ने सभी उम्मत मुसलमान को एक ही रस्सी में बंधे रहने की हिदायत दी है मगर आज हालत कुछ और हैं लोग एक रस्सी में बंधे रहना तो दूर एक आवाज़ में बोलना भी पसंद नहीं करते ये क़ौम बेशक गैरों के आगे दुम हिलाती हो मगर जब अपनी क़ौम की बात सामने आती है तो ये उसे इस तरह से मारने को तैयार रहती है जैसे कसाब हाथ में छुरी लेकर जानवर को जबह करने को तैयार रहता हो। इसे ये भी इल्म नहीं होता के मैं जिस इंसान को मार रहा हूँ वो हमारा ही कलमा गो भाई है और हमारा सहारा भी मगर इस से मतलब इस क़ौम को नहीं इसे ये भी इल्म नहीं के वो किस हालात में है और कहाँ है इसकी फिक्र नहीं। बल्कि अब ये क़ौम नमाज़ की हालत में भी मस्जिद में दाखिल होकर अपने ही भाइयों की पिटाई दुश्मन की तरह करते हैं और शान से कहते हैं की हमने फ्लाह की पिटाई कर दी। शहर के कागजी मुहल्ला और भैंसासुर के नवजवानों के बीच हो रहे लगातार मारपीट ने कई मुस्लिम नौजवानों को ज़ख्मी कर दिया।
कभी इस मुहल्ले के नौजवान उस मुहल्ले के लड़कों की पिटाई करते हैं तो कभी उस मुहल्ले के नौजवान इस मुहल्ले के नौजवानों की पिटाई कर देते हैं मगर अब तक किसी भी बाशउर मुस्लिम क़ौम के अंदर ये जज़्बा पैदा नहीं हुआ के दोनों मुहल्ले के बीच सुलह कराये जो सुन्नत है। इस के इलावा बीते दिन शहर का मुगल कुआं मस्जिद अचांग मैदान ए जंग बन गया करीब 18 रिकाअत तराविह की नमाज़ हुयी थी के इस दौरान मुस्लिम क़ौम अपने भाइयों की पिटाई लाठी डांडा स्ट्रेक और हॉकी से मस्जिद के अंदर नमाज़ के दौरान कर दी जिस वजह से कई लोग ज़ख्मी हो गए कहा जाता है इससे कबल दूसरी जगह गैर मुसलमानों ने काफी हंगामा किया था साथ ही खासगंज भी मैदान ए जंग बना था मगर किसी भी मुस्लिम क़ौम में गैरों से लड़ने की ताक़त नहीं थी मगर मामूली से बच्चों की लड़ाई में ये क़ौम अपने ही क़ौम की पिटाई मस्जिद में दाखिल होकर कर दिया इस के बाद थाने में मामला भी दर्ज़ हुआ। कहा जाता है की मुस्लिम क़ौम मज़लूम है मगर ये क़ौम गैरों के लिए मज़लूम है अपनों के लिए तो ये ज़ालिम और जाबर है इस की कोशिश होती है की इस क़ौम को ही खत्म कर दो ऐसे हालात में इस क़ौम का खुदा ही हाफ़िज़ है। ज़रूरी है की मुस्लिम क़ौम इत्तिहाद पैदा करे ताकि आपसी इत्तिहाद बरकरार रहे अपनों से लड़ने से सिर्फ नाइत्तिफ़ाक़ी पैदा हो गया और दूसरों को भी मौका मिलेगा।