हैदराबाद / 7 जनवरी ( पी टी आई ) वज़ीर-ए-सेहत-ओ-ख़ानदानी बहबूद ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा है कि हिंदूस्तानी तारीख़ और जद्द-ओ-जहद आज़ादी में मुस्लिम बरादरि के रोल को तारीख़ की दर्सी और तारीख़ी किताबों में सही अंदाज़ में उजागर नहीं किया गया है । जमईत उलालमा-ए-हिंद की तरफ़ से अपना दूसरी रियास्ती सतह की कान्फ़्रैंस के एक हिस्सा के तौर पर गुज़शता रात मुनाक़िदा एक आम जलसा से ख़िताब करते हुए मिस्टर आज़ाद ने कहा कि
हिंदूस्तान की आज़ादी की लड़ाई में मुस्लमान अगरचे किसी से पीछे नहीं थे लेकिन तारीख़ी किताबों और दर्सी कुतुब में हक़ायक़ को सही अंदाज़ में पेश नहीं किया गया है । मिस्टर आज़ाद ने याद दिलाया कि जमईत उलालमा-ए-हिंद ने 1920 में मैं बर्तानवी हुकूमत के ख़िलाफ़ तहरीक अदम तआवुन शुरू किया था और ये तंज़ीम हिंदूस्तान की तक़सीम की मुख़ालिफ़ थी ।
चीफ़ मिनिस्टर एन किरण कुमार रेड्डी ने इस मौक़ा पर मुख़ातब करते हुए कहा कि शमस आबाद इंटरनैशनल एर पोर्ट के क़रीब तामीर किए जाने वाले हज हाइज़ में मुस्लिम नौजवानों को सियविल सरविसीस कोचिंग देने केलिए एक तर्बीयती मर्कज़ क़ायम किया जाएगा ।