ताज महल में दफन है मुमताज की ममी ! खुले राज

दुनिया भर में मुहब्बत की अलामत माने जाने वाले ताज महल में मुगल बादशाह की बेगम मुमताज महल को किस तरह दफनाया गया, इस राज़ से पर्दा आज तक नहीं उठ सका है। एक नई किताब के सामने आने से यह राज़ और गहरा गया है। किताब में दावा किया गया है कि मुमताज की जिस्म को ममी बनाकर दफनाया गया था। मुमताज को दफनाने के लिए शाहजहां ने 17वीं सदी में यहां मकबरे की शक्ल में ताज महल की तामीर करवाया था। अपनी 14वीं औलाद की पैदाइश से पहले बुरहानपुर गईं मुमताज का इंतेक़ाल हो गया था।

यह कस्बा आज महाराष्ट्र में है। मुतनाज़ा ई-किताब “ताज महल या ममी महल” के मस्न्निफ अफसर अहमद ने कहा कि “”ताज महल के बारे में सच को छिपा दिया गया।

अगर ताज महल की तामीर के वक्त ही सच का खुलासा हो जाता तो इस निशानी की तामीर पूरी तरह से नामुम्किन हो जाती।””

सहाफी से मुसन्निफ बने अहमद ने अपनी किताब में मुमताज की मौत से जु़डे कई नामालूम हकायक का भी खुलासा किया है। किताब में मुमताज की मौत और उनकी जिंदगी के चंद आखिरी दिनों के बारे में ब्योरा दिया गया है और उनकी लाश को ममी बनाए जाने का ब्योरा दिया गया है।

आखिरी मरतबा दफन किए जाने से पहले मुमताज को एक अमानत घर में दो बार-तीन बार दफन किया गया। लेकिन उस दौर के दौरान उनकी जिस्म को किस तरह महफूज़ रखा गया! क्या मुगलों ने भी उसी तरीके को अमल में लाया जिसे क़दीम मिस्त्र में लाया जाता था या इसमें कोई और तरीका अपनाया गया! क्या मुगलों के पास भी जिस्म को महफूज़ से रखने का तरीका था! लेकिन सबसे ब़डा सवाल कि क्या मुमताज की जिस्म अभी तक महफूज़ है, का जवाब किताब ने देने की कोशिश की है।

अहमद ने कहा कि वे मुमताज की मौत और उसके बाद उसके दफन के चारों तरफ घिरे राज़ के पर्दे को उठाना चाहते हैं। शाहजहां के दरबारी मुसन्निफ (writer) इस पूरे वाकिया पर से पर्दा उठा सकते थे, लेकिन वे ऐसा नहीं कर सके क्योंकि उन्हें ऐसा कुछ भी खुलासा नहीं करने की हिदायत थी जिससे बादशाह की शबिया ( इमेज) खराब होने का खतरा था।

मुसन्निफ ने कहा कि रीडर्स को मुमताज की मौत और दफन के पीछे की सच्चाई जानने का हक या इख्तेयार है। ई-किताब में यह भी जानने की कोशिश की गयी है कि मुगलों ने सिर्फ इस्लामी रिवाज़ पर अमल किया या दफन के लिए दूसरे तरीके को अमल में लाया।