तारकीन-ए-वतन से पैसे लेना हराम- सऊदी मुफ़्ती-ए-आज़म

सऊदी कफ़ील और एजेंट्स बैरूनी वर्कर्स के मुश्किल हालात का नाजायज़ फ़ायदा उठा रहे हैं। सऊदी अरब में आम माफ़ी की मुद्दत के दौरान ये बैरूनी अफ़राद कफ़ीलों के हाथों में फंस गए हैं। कफ़ीलों के इस रवैय्ये पर मुफ़्ती-ए-आज़म शेख़ अबदुल अज़ीज़ उल-शेख़ ने तन्क़ीद करते हुए कहा कि मुसीबत ज़दगान से पैसे वसूल करना हराम है।

इमाम तुर्की बिन अबदुल्लाह मस्जिद में अपना ख़ुत्बा देते हुए मुफ़्ती-ए-आज़म ने कहा कि स्पांसर्स हुकूमते सऊदी अरब की फ़राहम की गयी मुफ़्त ख़िदमात के लिए पैसे बटोर रहे हैं। उनकी ये लालच हराम है। मुसीबतज़दा बैरूनी अफ़राद की मदद करने के बजाय स्पांसर्स और उनके एजेंट्स मिलकर हिरासाँ कररहे हैं। मुफ़्ती-ए-आज़म ने कहा कि जो लोग बैरूनी वर्कर्स के मौक़िफ़ को दरुस्त बनाने के लिए हुकूमत की कोशिशों में रुकावट पैदा करने मौक़ा की तलाश कररहे हैं ये ग़लत है। बैरूनी वर्कर्स की परेशानियों को दूर करना स्पांसर्स का भी काम है। पहले आम माफ़ी मुद्दत के दौरान जो 3 जुलाई को ख़त्म हुई वज़ारत लेबर ने 4 मिलियन वर्कर्स के मुआमलों को दरुस्त कर दिया। इनमें 1.18 मिलियन वर्कर्स ने अपना इकामा तबदील किया।

लेबर वज़ारत ने इसी मुद्दत के दौरान 1.6 मुलैय्यन से ज़ाइद वर्क परमिट्स की तजदीद की। ख़ादिम हरमैन-ओ-शरीफ़ैन शाह अबदुल्लाह बिन अबदुल अज़ीज़ ने आम माफ़ी की मुद्दत में मज़ीद चार माह का इज़ाफ़ा किया जो 3 नवंबर को ख़त्म होरही है। इस के लिए मुख़्तलिफ़ वज़ारतों ताजिर घरानों और बैरूनी सिफ़ारत कारों ने दरख़ास्त की थी। कई सऊदी स्पांसरस और एजेंट्स नए वर्कर्स के लिए पेशा तबदील करने या उन का इकामा बदलने के लिए 3000 ता 15000 रयाल की रक़म वसूल कररहे हैं। बाअज़ सरविस एजेंट दिन रात ज़्यादा से ज़्यादा रक़म बटोर रहे हैं। ये दरमियानी आदमी ही बैरूनी वर्कर्स की ख़िदमात को बाक़ायदा बनाने के अमल में रुकावट बन रहे हैं। मुफ़्ती-ए-आज़म ने इन लालची स्पांसर्स और एजैंटस की मुज़म्मत की और कहा कि ये लोग दार-उल-सलतनत सऊदी अरब के इक़दार और वक़ार को ठेस पहूँचा रहे हैं। हुकूमत पर ज़ोर दिया गया है कि वो तवील मुद्दत से ख़िदमत अंजाम देने वाले बैरूनी वर्कर्स को क़ौमियत अता करे। गै़रक़ानूनी तारकीन-ए-वतन का इस्तिहसाल नाक़ाबिल-ए-क़बूल है । मुफ़्ती-ए-आज़म ने इस तरह की हरकतों की शदीद मुज़म्मत की ।