तालीमयाफ़ता नसल ही तहज़ीब याफ़ता मुआशरे की तशकील करसकती है

तालीमयाफ़ता नसल ही तहज़ीब याफ़ता मुआशरे की तशकील में अहम किरदार अदा करसकती है। कामयाबी-ओ-क़ाबिलीयत की कोई हद नहीं होती, अगर आप में ये जौहर है और कुछ करने की तमन्ना है तो कोई मुल्क और माहौल आप को रोक नहीं सकता। उर्दू की तरक़्क़ी और उर्दू ज़रीये तालीम को नौजवानों के रोज़गार से जोड़ना हमारा नसबउल‍एन है, जब कि उर्दू तालीम हासिल करने वाले तलबा हर मैदान में अपनी सलाहीयतों का लोहा मनवा रहे हैं।

इन ख़्यालात का इज़हार आमिर अली ख़ां न्यूज़ एडीटर सियासत ने पंचशील कॉलेज में उर्दू सदर मुदर्रिसीन और उर्दू असातदा के मीटिंग से ख़िताब करते हुए किया। उन्होंने होनहार और बासलाहीयत तलबा जो क़ाबिलीयत के बावजूद माली परेशानीयों का शिकार हैं, उन की हौसलाअफ़्ज़ाई पर ज़ोर दिया और कहा कि तलबा को प्रवान चढ़ाने में अगर कोई रुकावट पैदा होती है तो वो किसी होटल या दूकान में मुलाज़मत करने पर मजबूर हो जाते हैं, अगर एसे नौनिहालों की कफ़ालत के लिए साहिब इस्तेताअत अफ़राद आगे आएं तो में समझता हूँ कि एसे तलबा-ओ-तालिबात अपने ख़ानदान, अपने इलाक़ा और अपने असातिज़ा का नाम रोशन करते हुए एक तहज़ीब याफ़ता मुआशिर की तशकील में अहम किरदार अदा करसकते हैं।