नई दिल्ली, ०३ जनवरी: (पी टी आई) मुल्क की जेलों में यूं तो क़ैदीयों को सुधार के लिए रखा जाता है लेकिन वहां भी हर किस्म के ग़लत और नाजायज़ काम होते हैं जिन से सुधार की बजाय बिगाड़ पैदा होजाता है ।
मुल्क की सब से बड़ी जेल तिहाड़ मौक़ूआ दिल्ली में क़ैदीयों को मुनश्शियात तक स्मगल की जाती है लेकिन अब जेल हुक्काम की आँखें खुल गई हैं और उन्हों ने मुनश्शियात का पता चलाने खोजी कुत्तों की हदमात हासिल करने का फ़ैसला कर लिया है ।
लिहाज़ा अब वक़्त है कि मुनश्शियात के स्मगलर्स भी होशयार होजाएं। खोजी कुत्तों की ख़िदमात हासिल करने की ज़रूरत उस वक़्त पेश आई जब मुख़्तलिफ़ इलैक्ट्रॉनिक आलात की तंसीब के बावजूद कुछ क़ैदी अपनी कोठरियों में मुनश्शियात लाने में कामयाब होगए लेकिन अब ऐसा मुम्किन नहीं हो सकेगा क्योंकि इंडो तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (ITBP) के तर्बीयत याफ़ता लीबरीडोर और एलसेशियन कुत्ते अपनी डयूटी अंजाम देंगे।
ये कुत्ते इंतिहाई हस्सास होते हैं और उन की नज़र से मुनश्शियात का छोटा सा ज़र्रा भी बच कर नहीं जा सकता । जिस्म के किसी भी हिस्से में छुपाई गई मुनश्शियात का ये कुत्ते पता लगा लेते हैं। आम तौर पर जेल के बद उनवान क़ैदी जिस्म के मुख़्तलिफ़ हिस्सों में मुनश्शियात छिपाकर लाते हैं जिन का आम डीटेक्टर्स पता नहीं लगा पाती। तिहाड़ जेल के डिप्टी इन्सपैक्टर जनरल आर एन शर्मा ने ये बात बताई ।
इन कुत्तों को नैशनल डाग ट्रेनिंग सैंटर मौक़ूआ भानू में ख़ुसूसी तर्बीयत दी गई है जो जिस्म के किसी भी हिस्से में छपी हुई मुनश्शियात का सूंघ कर पता लगा लेते हैं। तिहाड़ जेल हुक्काम को अफीम, चरस , गांजा और कोकीन जैसी मुनश्शियात जेल के अंदर स्मगल किए जाने के मसला ने परेशान कर रखा है ।