तीन स्टूडेंट्स की खुदकुशी के बाद मेडिकल का दौरा , सच्चे महसूस होते हैं लड़कियों के इलज़ाम

विलूप्पुरम: एक मुर्दाघर, जो कभी स्टूडेंट्स के लिए डाइनिंग रूम के रूप में इस्तेमाल किया जाता था… एक ऑपरेशन थिएटर, जो असल में एक बेहद गंदा-सा कमरा है, जिसमें सिर्फ तीन चारपाई पड़ी हैं… ये हैं तमिलनाडु के उस निजी कॉलेज का मंज़र , जहां की तीन स्टूडेंट्स शव शनिवार को मिले थे…

इन तीनों लड़कियों लाश शनिवार को कॉलेज के ठीक सामने मौजूद एक कुएं में से निकाले गए थे, और उनकी चप्पलें और बस्ते भी पास ही पड़े मिले थे… इन तीनों को आखिरी बार शुक्रवार को देखा गया था…

एक सुसाइड नोट, जो मुबीना तौर से इन्हीं लड़कियों ने लिखा था, में चेन्नई से लगभग 170 किलोमीटर दूर विलूप्पुरम में बने आठ साल पुराने इस एसएसवी कॉलेज ऑफ नैचुरोपैथी एंड योगा साइंसेज़ (SSV College of Naturopathy and Yoga Sciences) में बुनयादी सहूलियात तक के महरूमी के बारे में कहा गया है… इसके अलावा लड़कियों ने कॉलेज फीस के नाम पर ‘जबरन वसूली’ का भी इलज़ाम लगाया है…

कॉलेज में घूमने से साफ महसूस होता है कि लड़कियों के आरोप सच्चे हैं… चेन्नई-सलेम हाईवे पर वाक़े कैम्पस में सिर्फ एक ही मुकम्मल हिस्सा है, जहां क्लासरूम और टीचर के लिए कमरे हैं… बाकी सब आरज़ी ढांचे हैं, जिनमें ऑपरेशन थिएटर, कॉर्डियोलॉजी डिपार्टमेंट , एक्सरे डिपार्टमेंट और न्यूट्रीशन एंड डाइट डिपार्टमेंट शामिल हैं… कॉलेज में अस्पताल की कोई इमारत ही नहीं है, हालांकि साइनबोर्ड पर अस्पताल के वजूद का दावा किया गया है…

जिस कमरे के बाहर ऑपरेशन थिएटर लिखा है, उसके भीतर कुछ चारपाइयां पड़ी हैं, एक सक्शन आलेह है, और एक फॉल्स सीलिंग (अलग-से प्लाईवुड से बनवाई गई छत) है, जो ‘अब गिरी, तब गिरी’ की हालत में है…

जहां मुर्दाघर होने का दावा किया जा रहा है, वहां दरअसल सीमेंट की बोरियां जमा की गई हैं… मरने वाली तीनों लड़कियों में से एक मोनिशा के पिता तमिलरसन ने इलज़ाम लगाया कि पहले इसी कमरे में स्टूडेंट्स खाना खाते थे…

तमिलरसन ने कहा, “पहले ये लोग वार्ड को होस्टल की तरह इस्तेमाल करते थे, और मुर्दाघर को स्टूडेंट्स के लिए डाइनिंग रूम की तरह…”

उनकी बेटी मोनिशा और उसकी दो सहेलियां कॉलेज में बुनियादी सहूलतों की कमी और फीस के रूप में ली गई काफी बड़ी रकम के बारे में बार-बार शिकायत करती रही थीं, और उनके मुताबिक फीस की रसीद के तौर पर भी कभी कुछ नहीं दिया गया…

विधायक आर. राममूर्ति ने बताया, “यह कॉलेज नैचुरोपैथी कॉलेजों को कंट्रोल करने वाले आयुष मंत्रालय तथा मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के ज़रिये बनाए गए सभी क़ानूनों की खिलाफ वर्ज़ी कर रहा है… उन्हें खबर दे दी गई थी, और उन्होंने कॉलेज का सर्वे भी किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है…”

कैम्पस में स्टूडेंट्स के लिए कोई होस्टल भी नहीं है, और लड़के-लड़कियां कुछ किलोमीटर दूर बसे एक इलाके में किराये के मकानों में रहते हैं…

वालदैन का इलज़ाम है कि कॉलेज ने उनसे सरकार के ज़रिये मुक़र्रर की गई फीस से तीन गुना से भी ज़्यादा रक़म वसूल की है… मोनिशा की मां टी. संगीता ने कहा, “मेरी बेटी का दाखिला सरकार की मेरिट लिस्ट के आधार पर हुआ था… लेकिन फिर भी वे दो साल में छह लाख रुपये ले चुके थे, और अब भी पैसे मांग रहे थे…”

इस मामले में फिलहाल आयुष मंत्रालय तथा इस कॉलेज को एफिलिएशन प्रदान करने वाली एमजीआर मेडिकल यूनिवर्सिटी की ओर से कोई दफ्तरी जवाब हासिल नहीं हुआ है