तेलंगाना का खाना ,आंध्र का गाने वालों के मुँह पर तमांचा

मर्कज़ी काबीना ने मुल्क की 29 वीं रियासत की हैसियत से तेलंगाना की तशकील को मंज़ूरी देदी है। मर्कज़ी हुकूमत ने तमाम मुख़ालफ़तों और एतेराज़ात को बालाए ताक़ रखते हुए तेलंगाना अवाम की ख़ाहिश के एन मुताबिक़ अलाहिदा रियासत के हक़ में फैसला किया है जो उन अफ़राद के लिए एक सयासी तमांचा है जो तेलंगाना में रहते और तेलंगाना का खाते हुए मुत्तहदा आंध्र के हामी थे और आंध्रई अवाम के हक़ में इज़हार ख़्याल किया करते थे।

बाअज़ गोशे अपने ज़ाती और कारोबारी मुफ़ाद की ख़ातिर मुत्तहदा आंध्र के हक़ में राय ज़ाहिर कर रहे थे और आंध्रई क़ाइदीन की तरह से इज़हार ख़्याल कर रहे थे।

अब मर्कज़ी हुकूमत ने हर तरह की मुख़ालफ़तों को बालाए ताक़ रखते हुए और मुत्तहदा आंध्र के हक़ में जारी एहतेजाज को ख़ातिर में लाए बगैर अलाहिदा रियासत की तशकील का फैसला करदिया है तो ये फैसला तेलंगाना का खा कर आंध्र की गाने वालों के लिए सयासी तमांचे से कम नहीं है।