तेलंगाना पोलीटीकल जवाइंट एक्शन कमेटी में तेलूगू देशम पार्टी और तेलंगाना नग़ारा समीति की शमूलीयत के मसला पर इख़तिलाफ़ात के सबब जे ए सी को फैसला करने में दुश्वारियों का सामना है । बताया जाता है कि टी आर एस , बी जे पी और बाअज़ दीगर जमाअतें तेलूगू देशम पार्टी को जे ए सी में शामिल करने की सख़्ती से मुख़ालिफ़त कर रही हैं।
इसी मुख़ालिफ़त के नतीजा में नागम जनार्धन रेड्डी की जे ए सी में शमूलीयत का मसला भी तवालत इख़तियार कर रहा है । जे ए सी के ज़राए ने बताया कि बाज़ क़ाइदीन तेलूगू देशम की जानिब से हाल ही में तेलंगाना के हक़ में इख़तियार करदा मौक़फ़ के बाइस उसे जे ए सी में शामिल करने के हक़ में हैं लेकिन टी आर एस इस तजवीज़ की शिद्दत से मुख़ालिफ़त कर रही है।
जे ए सी क़ाइदीन में आपसी रसा कशी को देखते हुए कन्वीनर के ओहदा पर इंतिख़ाब को आइन्दा के लिए टाल दिया गया। सिरिनिवास गोड़ अगरचे जे ए सी के वो चीयरमैन हैं ताहम स्वामी गोड़ एम्पलॉयज़ लेक्चरर्स और दीगर सरकारी मुलाज़मीन के नुमाइंदों की जानिब से कन्वीनर के ओहदा पर फ़ाइज़ थे । जे ए सी ने ओहदों के लिए जारी इस रसा कशी के दौरान अकलियती नुमाइंदे मायूस हैं। जे ए सी में अक़लीयतों को कोई अहम ओहदा नहीं दिया गया।
अगरचे कई अकलियती नुमाइंदे उन की तनज़ीमों की जानिब से जे ए सी में शामिल हैं। जमात-ए-इस्लामी की तंज़ीम एम पी जे, जे ए सी की अहम हलीफ़ हैं लेकिन उस की नुमाइंदों को जे ए सी ने अभी तक कोई अहम ओहदा नहीं दिया गया।