हैदराबाद: तेलंगाना में मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर बीसी आयोग की सार्वजनिक सुनवाई आज से शुरू हो गई. आयोग 17 दसम्बर तक अपने कार्यालय स्थित खैरियत आबाद, हैदराबाद में मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी रहनुमाओं से सुनवाई करेगा. मुसलमानों की आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के आधार पर उन्हें रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण के लिए सार्वजनिक राय हासिल करने के लिए बीसी आयोग ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं .कमीशन की ओर से मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर 4 दिवसीय सुनवाई के दौरान विभिन्न संगठनों की राय ली जा रही है.
प्रदेश 18 के अनुसार, विशेषज्ञों का कहना है कि बीसी आयोग की सुनवाई के दौरान संस्थाओं और संगठनों के अलावा व्यक्तिगत रूप से भी रहनुमाई की जा सकती है, ताकि आरक्षण के प्रतिशत में वृद्धि की जा सके. टीआरएस ने तेलंगाना में सरकार के गठन पर मुसलमानों को 12 प्रतिशत आरक्षण का वादा किया था इस सिलसिले में बीसी आयोग की स्थापना की गई और पिछड़ों की श्रेणी में मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रयास किया जा रहा है.
कमीशन ने वादा किया है कि उनके नुमाइंदगी को तेलंगाना सरकार को पेश करेगा. आयोग के सदर नशीन बी एस रामलू ने कहा कि मुस्लिम आरक्षण को लेकर, सुझाव और आपत्तियां पेश करने के इच्छुक व्यक्तियों को इन 4 दिनों में सार्वजनिक सुनवाई के दौरान उपस्थित हो सकते हैं जिसकी शुरुआत आज से की गई है.
विशेषज्ञों ने मुसलमानों और मुस्लिम संगठनों से अपील की है कि अधिक से अधिक संख्या में इस आयोग के पास नुमाईन्दे भेजें. इन संगठनों ने आज की नुमाईंदगी पर प्रसन्नता व्यक्त की और इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने पर जोर दिया. आयोग मुसलमानों को शिक्षा और रोजगार में वर्तमान आरक्षण के तहत प्रतिनिधित्व पर गौर करेंगे और साथ ही शिक्षण संस्थानों में दाखिले के समय अन्याय की शिकायतों की भी जांच करेगा .कमेशन जल्द अपनी रिपोर्ट पेश करना चाहता है.
सुधीर आयोग ने मुसलमानों को 7 से 12 प्रतिशत आरक्षण की सीमा बढ़ाने की सिफारिश की थी. इसी आधार पर बी सी आयोग भी मौजूदा आरक्षण की सीमा बढ़ाने की सिफारिश कर सकता है. तेलंगाना में वर्तमान में मुसलमानों को 4 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है और यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. उम्मीद है कि बी सी आयोग सार्वजनिक सुनवाई और मुसलमानों की स्थिति का सर्वेक्षण करने के बाद मौजूदा आरक्षण के प्रतिशत को दोगुना करने की सिफारिश कर सकता है.
आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि जहां तक मुसलमानों के लिए आरक्षण की सीमा बढ़ाने का मामला है सरकार इस मुद्दे पर गंभीर है और आयोग भी पूरी ईमानदारी के साथ इस समस्या की सुनवाई करते हुए किसी अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचेगा.