भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने रविवार को आरोप लगाया कि तेलंगाना के कार्यवाहक मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव ने जल्द चुनाव कराके राज्य पर करोड़ रुपये का बोझ डाला है।
Congress Party in its manifesto promised to provide free electricity to Masjid and Churches but not for the temples. Quota for Urdu teachers will be decided as well. Both TRS and Congress are engaged in minority appeasement: Shri @AmitShah #SaffronTelangana pic.twitter.com/DO0rF2vkon
— BJP (@BJP4India) December 2, 2018
महबूबनगर जिले के नारायणपेट में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और कांग्रेस, दोनों ही अल्पसंख्यकों का ‘तुष्टिकरण’ करने में यकीन रखते हैं।
#AmitShah in Narayanpet, Telangana: Congress in its manifesto promised free electricity to Masjids and Churches but not for Temples. Both TRS and Congress are engaged in minority appeasement pic.twitter.com/dChSXMobtX
— ANI (@ANI) December 2, 2018
भाजपा प्रमुख ने कहा कि तेलंगाना अगर अगले साल मई में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव कराता तो यह कई सौ करोड़ रुपये की बचत करता। राव ने चुनाव खर्च के तौर पर राज्य पर करोड़ो रुपये का बोझ डाला है।
इसके लिए कौन जिम्मेदार है? राव को मई में अपनी जीत का संशय था। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर का डर था। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणापत्र में मस्जिदों और गिरिजाघरों को ‘निशुल्क’ बिजली देने का वायदा किया है लेकिन मंदिरों के लिए वायदा नहीं किया।
शाह ने आरोप लगाया कि अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की राजनीति के तौर पर विपक्षी पार्टी ने तेलंगाना में सत्ता में आने पर अल्पसंख्यक छात्रों को 20 लाख रुपये की शैक्षिक सहायता देना का वायदा किया है।
कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में सरकारी अनुबंधों में अल्पसंख्यकों को आरक्षण देने की भी बात की है। इसने अल्पसंख्यकों के लिए अलग अस्पतालों के बारे में भी बात की है। मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि अल्पसंख्यक समुदाय से संबंध नहीं रखने वाले गरीब लोगों का क्या होगा? उन्होंने दोहराया कि भगवा दल धर्म आधारित आरक्षण के पक्ष में नहीं है क्योंकि यह संविधान के खिलाफ है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि यह एक त्रिपक्षीय लड़ाई है। जहां एक तरफ केसीआर और चंद्रशेखर राव हैं जिन्होंने तेलंगाना को एमआईएमआईएम के आगे घुटने टेकने के लिए मजबूर किया है।
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस है जिसने सिद्धू को पाकिस्तान, वहां के सेनाध्यक्ष से गले मिलने के लिए भेजा। वहीं तीसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले राष्ट्रवादी हैं।