तोहफ़ों और रियायतों से तरक़्क़ी में मदद ना होगी : चिदम़्बरम

सेवा गंगा (तमिलनाडु), 2 फेब्रुवारी (पी टी आई) तोहफ़ों और रियायतों से मआशी तरक़्क़ी में मदद नहीं मिलेगी और नौजवानों को ख़ुद रोज़गार हासिल करने की कोशिश करना चाहीए, मर्कज़ी वज़ीर फ़ीनानस पी चिदम़्बरम ने आज ये बात कही। अगर किसी मुल्क को तरक़्क़ी करना हो तो इस के अवाम को अपने पैसे पर खड़े होना और ताक़तवर मआशी तरक़्क़ी को यक़ीनी बनाना होगा, वो सिर्फ़ मुफ़्त चीज़ों और सब्सीडीज़ पर इन्हिसार नहीं करसकते हैं।

मेरा हाईकमान और ख़ुद में (बतौर फ़ीनानस मिनिस्टर) क़ौम की तरक़्क़ी के बारे में वाज़िह सिम्त रखते हैं, उन्होंने यहां ये बात कही। वो तमिलनाडु और पडोचेरी में रीपको बैंक की 17 ब्रांचस का इफ़्तिताह करने के बाद मुख़ातब थे। ये निशानदेही करते हुए कि फ़्री बेज़ और सब्सीडीज़ शुरूआत में फ़राहम की जा सकती हैं, उन्होंने कहा कि ये हुकूमत की ज़िम्मेदारी है कि अपने नौजवानों के लिए नौकरियां या ख़ुद रोज़गार तशकील दे।

उन्होंने कहा कि यू पी ए हुकूमत के पास अपने नौजवानों के लिए नौकरियां तशकील देने का वाज़िह वीज़न है। लेकिन कुछ रुकावटें हैं। अगर किसी बैंक का ब्रांच खोला जाता है तो सवाल उठाया जाता है। मेरे एक दोस्त ने तबसेरा किया कि बैंक की शाख़ें खोलते हुए अवाम को मक़रूज़ बनाया गया है। बिज़नस और सेल्फ इम्पलाइमैंट के लिए क़र्ज़ लेने में कोई क़बाहत नहीं है। सिर्फ़ रिश्वत लेना ग़लत है ना कि क़र्ज़।