नई दिल्ली, 8 सितंबर: मग़रिबी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, शामली और कैराना में बेकाबू होते फिर्कावाराना दंगों की लपट ने मुस्लिम उलेमाओं के कान खड़े कर दिए हैं। उन्होंने वज़ीर ए आला अखिलेश यादव व उत्तर प्रदेश के दूसरे सियासी पार्टियों से साफ कहा है कि हालात नहीं सुधरे तो उसका खमियाजा रियासत की सपा हुकूमत, रालोद और दूसरे सेक्युलर पार्टि को ही चुकाना होगा।
मगरिबी उत्तर प्रदेश में फिर्कावाराना दंगों के काबू होने में देरी को लेकर ही जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सदर मौलाना अरशद मदनी ने हफ्ते को यहां दिल्ली में मौजूद वज़ीर ए आला अखिलेश यादव से लंबी बात की। उसके बाद उन्होंने मग़रिबी उत्तर प्रदेश की बदौलत मरकज़ में वज़ीर बने राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के चीफ चौधरी अजित सिंह व उनके सांसद बेटे जयंत चौधरी को भी हालात को लेकर होशियार किया।
मदनी ने कहा कि ‘फिरकापरस्त ताकतें मानकर चल रही हैं कि सपा की हुकूमत बनवाने में मुसलमानों का किरदार है। उन पर जुल्म हो रहे हैं। मैंने वज़ीर ए आला को हालात की इत्तेला दे दी है। बता दिया है कि हमने कौम के लोगों को समझाकर रखा है कि वे शांत होकर बैठे रहें, लेकिन पानी सिर के ऊपर नहीं जाना चाहिए। लिहाजा, मुसलमानों की जान-माल की हिफाजत के लिए इंतेज़ामिया ने सख्त कदम नहीं उठाए तो नतीजे संगीन होंगे। जिसकी कीमत सपा हुकूमत को भी चुकानी पड़ेगी’। उन्होंने कहा कि वज़ीर ए आला ने हर जरूरी कदम उठाने का भरोसा दिया है। मदनी के मुताबिक, ‘अखिलेश हुकूमत की नीयत पर शक नहीं है, लेकिन जिला इंतेजामिया उनका साथ नहीं दे रहा है।’।
मदनी ने बताया कि इस मसले पर उन्होंने अजित सिंह को साफ कर दिया है कि मगरिबी उत्तर प्रदेश में जो हो रहा है, वह मसला हिंदू-मुस्लिम का नहीं है। एक खुसूसी जाति विशेष के लोग फिर्कापरस्ती को बढ़ाने में लगे हैं। ऐसे में उन्हें दिल्ली में बैठने के बजाय बाहर निकलकर इसे रोकने की पहल करनी होगी। अगर हालात को काबू करने के लिए वे आगे नहीं आए तो सियासी नुकसान उनका भी होगा। उन्होंने कहा कि अजित सिंह ने कोकब हमीद को उनके पास भेजा था। बात हुई है। रालोद ने भी हालात को काबू करने में मदद का भरोसा दिया है।
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