अंतरराष्ट्रीय अदालत द्वारा विवादित दक्षिणी चीन सागर में अपने दावे को खारिज किए जाने के बाद चीन ने शुक्रवार को कहा कि संप्रभुता का विषय देश के लिए ‘सबसे महत्वपूर्ण’ है और वह अपने उस क्षेत्र में ‘एक सेंटीमीटर इलाका भी नहीं छोड़ सकता’, जिस पर वह दावा करता है।
चीन के युवा राजनयिक यांग जीची ने कहा, ‘संप्रभुता का मुद्दा चीन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।’ स्टेट कॉंसिलर यांग ने कहा कि हालांकि चीन एक बड़ा देश है लेकिन हम अपने पूर्वजों द्वारा छोड़ी गयी विरासत में एक सेंटीमीटर भी नहीं छोड़ सकते।
स्टेट कॉंसिलर यांग का रैंक विदेश मंत्री से ऊपर है। यांग की टिप्पणी भारत के लिए काफी महत्व रखती है क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ सीमा वार्ता के लिए वह चीन के विशेष प्रतिनिधि हैं।
सीमा विवाद के हल के लिए भारत और चीन के बीच अब तक 19 दौर की बातचीत हो चुकी है। विवाद के केंद्र में अरूणाचल प्रदेश को लेकर चीन का दावा है और उसका कहना है कि यह दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है।
चीन सीमा मुद्दे को इतिहास की विरासत मानता है और वह दोनों देशों के बीच प्रभावी सीमा के लिए मैकमोहन रेखा को मान्यता देने से इंकार करता है।