चीन ने दक्षिण चीन सागर (एससीएस) पर उसके दावों को खारिज करने वाले संयुक्त राष्ट्र समर्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायविदों पर आज तेज हमला बोलते हुए कहा है कि मध्यस्थों को नियुक्त करने वाले जापानी जज ने बीजिंग के खिलाफ निर्णय को ‘तोड़ा-मरोड़ा’ है।
चीन के सहायक विदेश मंत्री लियु झेनमिन ने यहां एक देश भर में टीवी पर प्रसारित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एक जर्मन जज के अलावा बाकी चारों जज जापानी न्यायविद और राजनयिक शुंजी यनाई द्वारा नियुक्त किए गए थे। जर्मन जज को इस विवाद के एक याचिकाकर्ता फिलीपीन की ओर से नियुक्त किया गया था।
लियु ने दावा किया कि हेग की स्थायी मध्यस्थता अदालत का कोई अंततराष्ट्रीय दर्जा नहीं है और इसका फैसला लागू करने योग्य नहीं हो सकता। उन्होंने यनाई पर विशेष तौर पर निशाना साधते हुए कहा कि वह एक पूर्व जापानी राजनयिक हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री शिंझो आबे की सहायता की थी।
साथ ही लियु ने कहा कि यनाई ने यूरोप के अलग अलग देशों से चार जज नियुक्त करके न्यायाधिकरण को ‘तोड़ा मरोड़ा’। इन जजों को संयुक्त राष्ट्र से वेतन नहीं मिलता है। उन्होंने सवाल किया इन्हें किसने वेतन दिया? उन्होंने कहा कि इन जजों में से एक अफ्रीकी और शेष सभी यूरोपीय हैं। उन्होंने कहा कि सभी जज यूरोप में रहते हैं और उन्हें एशियाई इतिहास तथा संस्कृति की कोई जानकारी नहीं है।
चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपने अधिकार का दावा करता है, जिसमें वे चट्टानें और द्वीप भी शामिल हैं, जिनपर दूसरे देशों का दावा है। इस सागर के रास्ते पांच खरब डॉलर का व्यापार होता है।
चीन ने न्यायाधिकरण की कार्यवाही में शामिल होने से इंकार कर दिया था। अधिकारियों ने कहा था कि न्यायाधिकरण का ‘कोई अधिकार क्षेत्र’ नहीं है। दक्षिण चीन सागर पर इसके दावे के खिलाफ आए कल के फैसले पर चीन ने तत्काल ही कहा कि वह इस फैसले को नहीं मानेगा। चीन ने इसे अमान्य और अबाध्यकारी बल करार दिया।