अबू ऐमल- एक और चौंका देने वाला इन्किशाफ़ (खुलाशा) और औक़ाफ़ का मसीहा वक़्फ़ बोर्ड की तवील लापरवाहियों का एक और दरगाह शरीफ़ शिकार। दरगाह शरीफ़ हज़रत फ़क़ीर मुल्ला कुरमल गुड़ा, ज़िला रंगा रेड्डी, जो चारमीनार से 25 केलो मीटर पर वाक़ै है। आर सी आई रोड दरगाह हज़रत बाबा शरफ़ उद्दीन (रह) से 3 कीलो मीटर के फ़ासले पर वाक़ै है। इस के तहत 1200 एकड़ अराज़ी (ज़मीन) पर क़बज़े जारी , जिस की तफ़सील इस तरह है कि 17 जनवरी 2012 को अपनों के हाथों शहीद की गई बालापूर की क़ुतुब शाही मस्जिद से क़रीब सतह ज़मीन से काफ़ी बुलंदी पर एक पहाड़ के दामन में एक बुज़ुर्ग आराम फ़र्मा हैं। जब बालापूर की शहीद कर्दा मस्जिद का वक़्फ़ बोर्ड सर्वे कर रहा था, तब वक़्फ़ बोर्ड के एक ओहदेदार ने हमें बताया कि इस मस्जिद से क़रीब एक दरगाह शरीफ़ है, जिस के तहत 1200 एकड़ अराज़ी (ज़मीन) दर्ज वक़्फ़ है और मज़कूरा ओहदेदार ने ख्वाहिश की कि नाम किसी के सामने ज़ाहिर ना करें।
चुनांचे नुमाइंदा ख़ुसूसी इस दरगाह शरीफ़ के मुआइना के लिए जब गए तो क्या देखते हैं कि एक बुलंद पहाड़ पर एक बुज़ुर्ग का मज़ार है और इस की पुख़्ता सीढ़ीयां हैं और इस मज़ार से मुत्तसिल एक और बुलंद पहाड़ है, जिस के साया में दरगाह शरीफ़ है। आस पास कोई आबादी नहीं, लेकिन इस के बाद कुरमल गुड़ा नामी एक गाँव आता है। जब हम ने इस गाँव के सरपंच से बज़रीया फ़ोन बात की, जिस का नाम बाबूराव है और जिस का ताल्लुक़ बरसर-ए-इक़तिदार जमात से है तो इस ने बताया कि इस दरगाह के तहत 60 एकड़ अराज़ी (ज़मीन) थी और जब इस से मज़ीद जानकारी चाहा तो इस ने फ़ोन कट कर दिया।
मुक़ामी लोगों ने बताया कि इस दरगाह शरीफ़ के ताल्लुक़ से इस गाँव का सब से उम्र रसीदा अशोक नामी शख़्स जो गड़मबा (सीनधी) का कारोबार करता है वो मालूमात फ़राहम कर सकता है। जब हम ने अशोक से शख़्सी(खुद) मुलाक़ात की तो इस ने बताया कि इस दरगाह शरीफ़ के तहत 80 एकड़ अराज़ी (ज़मीन) थी, लेकिन सुनने में आया है कि अब इस के तहत सिर्फ एक एकड़ अराज़ी (ज़मीन) छोड़ी गई है । इस ने बताया कि बाक़ी ज़मीन फ़रोख़त कर दी गई और अशोक हमें देख कर तशवीश में पड़ गया और हम से बेशुमार सवालात करने लगा कि आख़िर एक अर्सा के बाद इस दरगाह शरीफ़ के ताल्लुक़ से आप जानकारी क्यों हासिल करना चाहते हैं? जबकि ना इस का उर्स होता है और ना ही इस पर नाम लिखा है और इस गाँव की एक (बड़ी बी) जो चाय फ़रोख़त करती है, इस ने बताया कि दरगाह के एक नगर इनकार हैं जो शहर में रहते हैं। वो कभी कभी यहां आते हैं और यहां पर तक़रीबन ग़ैर मुस्लिम आकर इस दरगाह शरीफ़ पर नयाज़ और दावतें करते हैं।
मज़ीद इस ने कहा : साहिब ! कई लोग इस दरगाह शरीफ़ की ज़मीन पर अपना दावा करते हैं। जब हम ने इस दरगाह शरीफ़ के तहत अराज़ी (ज़मीन) की तहक़ीक़ात के लिए वक़्फ़ बोर्ड की वक़्फ़ गज़्ट का रिकार्ड निकाला तो इस में इस बात का इन्किशाफ़ (खुलाशा) हुआ कि वाक़ै इस के तहत 1200 एकड़ अराज़ी (ज़मीन) है, जिस की तफ़सीलात इस तरह हैं। PE/225 DARGAH HAZRATH MOMIN CHUP (FAQIR MULLA) (SAROOR NAGAR MANDAL VILLAGE KURMAL GUDA, LAND DRY: 1200.00, GAZ: 6-A, DT: 9-2-1989, GAZ NO: 2869 नीज़ वक़्फ़ बोर्ड के रिकार्ड में इस अराज़ी (ज़मीन) के तमाम सर्वे नंबरात भी दर्ज हैं। क़ारईन (पाठकों) ! ये दरगाह शरीफ़ बुलंद पहाड़ पर है और इस के नीचे एक पुख़्ता मंदिर भी तामीर की गई है। बालापूर की क़ुतुब शाही मस्जिद जो शहीद कर दी गई इस दरगाह शरीफ़ से साफ़ नज़र आती है। वक़्फ़ बोर्ड ने बालापूर की शहीद मस्जिद के ताल्लुक़ से साफ़ कह दिया कि इस मस्जिद का वक़्फ़ बोर्ड में रिकार्ड मौजूद नहीं है, लेकिन क़ारईन (पाठकों)! इस दरगाह के तहत 1200 एकड़ अराज़ी (ज़मीन) थी और ये शहीद क़ुतुब शाही मस्जिद इस दरगाह शरीफ़ से ज़्यादा दूर नहीं है।
ये चंद ऐसे सवालात हैं जिस का जवाब सिर्फ़ वक़्फ़ बोर्ड ही दे सकता है और ये दरगाह शरीफ़ पहाड़ी शरीफ़ पुलिस स्टेशन की हदूद में आती है और हमारे ज़राए से इस बात का भी इन्किशाफ़ (खुलाशा) हुआ है कि वक़्फ़ बोर्ड ने बाज़ाबता सरकारी तौर पर इस दरगाह शरीफ़ का एक लंबे अर्से से मुआइना नहीं किया। वक़्फ़ बोर्ड के मुताबिक़ 23 साल क़ब्ल वक़्फ़ बोर्ड ने इस दरगाह शरीफ़ का सर्वे किया था, इस के बाद मौजूदा हालात से आगही हासिल करने की कोशिश नहीं की गई, जिस का नतीजा ये है की उस की अराज़ी (ज़मीन) कम से कमतर होते हुए दरगाह शरीफ़ तक सिमट कर रह गई और गाँव के एक बाअसर शख़्स ने ये तक कह दिया कि हम ने इस दरगाह के लिए एक एकड़ अराज़ी (ज़मीन) छोड़ दी है। अगर ये बात सच्च हो तो हमें कोई ताज्जुब नहीं होना चाहीए।
वो इस लिए कि हमारे पास वक़्फ़ बोर्ड की लापरवाही की एक लंबी फ़ेहरिस्त मौजूद है, जिस की चंद मिसालें आप के सामने पेश करते हैं। (1) दरगाह शरीफ़ हज़रत बाबा शरफ़ उद्दीन (रह) के तहत 2300 एकड़ अराज़ी (ज़मीन)थी, आप अच्छी तरह जानते हैं कि इस की 1050 एकड़ अराज़ी (ज़मीन) राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट वालों ने हड़प कर ली और इस के इव्ज़ में 85 एकड़ ज़मीन दो क़िस्तों में जब वक़्फ़ बोर्ड के हवाले की तो उस वक़्त हमारे क़ाइदीन ने अराज़ी (ज़मीन) के काग़ज़ात लेते हुए चीफ़ मिनिस्टर की तारीफ़ में कहा था कि (हम ने आज तक ऐसा चीफ़ मिनिस्टर नहीं देखा) जबकि इस कार्रवाई में एक मस्जिद उम्र फ़ारूक़ (रजि) भी शहीद करदी गई। (2) दरगाह शरीफ़ हज़रत हुसैन शाह वली (रह) के तहत 1654 एकड़ अराज़ी (ज़मीन) का क्या हाल हुआ, आप ख़ूब जानते हैं और अब बरसर-ए-इक़तिदार हुकूमत वक़्फ़ बोर्ड के ख़िलाफ़ फ़रीक़ मुख़ालिफ़ की हैसियत से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुकी है जबकि ये हुकूमत अक़ल्लीयत दोस्त होने का दावा करती है। (3) मस्जिद एलमास, एलमास पेट चोट उप्पल, इस मस्जिद के तहत 420 एकड़ अराज़ी (ज़मीन) थी, जिस पर सैंकड़ों लोग क़बज़ा कर चुके हैं।
चंद रोज़ क़ब्ल एक कान्फ़्रैंस में वक़्फ़ बोर्ड ने मीडीया से कहा था कि जिन लोगों ने मस्जिद एलमास की अराज़ी (ज़मीन) पर क़बज़ा किया है हम ने इन सब के ख़िलाफ़ नोटिस जारी कर दी हैं जबकि हक़ीक़त ये है की वहां कोई भी नोटिस क़बूल करने तक तैय्यार नहीं। ये तो चंद मिसालें थीं जो आप के सामने रखें ताकि अंदाज़ा हो कि जिस इदारा (संस्था) का मक़सद वक़्फ़ कर्दा अल्लाह की अराज़ी (ज़मीन) का तहफ़्फ़ुज़ है इस का क्या हाल है। अब लीजिए शहर में 150 गैरा बाद मसाजिद हैं, उन के तहत जितनी वक़्फ़ अराज़ी (ज़मीन) थी तमाम की तमाम अपनों ने और ग़ैरों ने ठिकाने लगा दी है। कई क़ब्रिस्तानों पर कॉलोनियां बन चुकी हैं, मकानात और फ़ाम हाउस तामीर हो चुके हैं, ये है वक़्फ़ बोर्ड का असली चेहरा, जबकि मौजूदा वक़्फ़ बोर्ड चेयरमैन ने जिस वक़्त 12 अक्टूबर 2010 को अपना ओहदा संभाला था तो मीडीया के सामने सब से पहले ये वाअदा किया था कि वक़्फ़ रिकार्ड को कंप्यूटराईज़ड कराना मेरा सब से पहला काम होगा, लेकिन अलमीया ये है की अभी तक इस काम का आग़ाज़ ही नहीं हुआ।
क़ारईन (पाठकों)! आप ने वक़्फ़ बोर्ड के काम को देख लिया और वक़्फ़ अराज़ी (ज़मीन) का अंजाम भी देख रहे हैं तो आप ख़ुद फ़ैसला करें कि क्या ऐसे में मिल्लत-ए-इस्लामीया की ये ज़िम्मेदारी नहीं होती कि हर शख़्स अपनी इसतेताअत (काबिलयत) के मुताबिक़ वक़्फ़ अराज़ी (ज़मीन) के तहफ़्फ़ुज़ के लिए कमरबस्ता हो जाए और अपने तईं वक़्फ़ अराज़ी (ज़मीन) के तहफ़्फ़ुज़ के ताल्लुक़ से हर मुम्किना कोशिश कर गुज़रे ? नीज़ जो इदारे या हज़रात वक़्फ़ अराज़ी (ज़मीन) के तहफ़्फ़ुज़ के लिए आगे आ रहे हैं इन का भरपूर साथ देना चाहीए तब ही अल्लाह की राह में हमारे लिए इस्लाफ़ (बुजुर्गों) ने जो अराज़ी (ज़मीन) वक़्फ़ की थी इस का तहफ़्फ़ुज़ मुम्किन हो सकेगा वर्ना आए दिन आप को ये पढ़ने को मिलता रहेगा कि वक़्फ़ बोर्ड में वक़्फ़ अराज़ी (ज़मीन) का रिकार्ड तो महफ़ूज़ है, लेकिन अराज़ी (ज़मीन) कहीं महफ़ूज़ नहीं। abuaimalazad@gmail.com