मुल्क के मुस्तकबिल कहे जाने वाले स्टूडेंट्स ( Students) ने चंद रुपयों की खातिर लोगों की जान व अपने ईमान का सौदा कर डाला। दहशतदर्गों के हाथ बिके स्टूडेंट्स ने ही नरेंद्र मोदी की रैली के दौरान इतवर को गांधी मैदान में बम रखे थे। इसका खुलासा पुलिस गिरफ्त में आए इम्तियाज से पूछताछ में हुआ है।
उसने एनआइए (कौमी जांच एजेंसी) को बताया कि वो और तहसीन अपनी टोली के साथ रांची से 18 बम लेकर पटना आए थे। जहां बमों को रैली की जगह पर लगाने का काम पटना के लॉज में रहकर पढ़ाई करने वाले कुछ स्टूडेंट्स को दिया था। इसके बदले उन्हें दस-दस हजार रुपये दिए गए थे।
इम्तियाज ने बताया है कि इंडियन मुजाहिदीन ने ही बोधगया ब्लास्ट के बाद पटना में ब्लास्ट की साजिश रची गई थी। बोधगया ब्लास्ट की तरह पटना में भी टाइमर के तौर पर लोटस ब्रांडनेम वाली घड़ी का इस्तेमाल किया गया। गांधी मैदान में बम ब्लास्ट से पहले वह तहसीन के साथ कई बार पटना आया।
हर बार वे सब्जीबाग, भंवर पोखर और नया टोला वाकेय् लॉज में ठहरे और उनमें रहने वाले स्टूडेंट्स को कौम से जुड़ी भड़काऊ सीडी और वीडियो दिखा कर तंज़ीम से जोड़ने की कोशिश की । रुपये की लालच में फंसकर आठ स्टूडेंट्स उनके तंज़ीम से जुड़ गए। जिनकी पढ़ाई का खर्चा बाद में आइएम उठाने लगा।
हर माह किसी न किसी ज़रिये से इन स्टूडेंट्स तक रुपये पहुंचा दिए जाते थे। जांच एजेंसी ने इन तमाम तालिब ए इल्म ( Students) के नाम अभी खुफिया रखे हैं।
इम्तियाज ने बताया कि इतवार को भी रांची से पहुंचने पर इन आठ लोगो को लैपटॉप बैग के साथ मीठापुर बस स्टैंड बुलाया था। जहां सभी के बैग में टाइमर बम रखकर उन्हें बमों को ऐक्टिव करने का तरीका भी बताया गया। सभी स्टूडेंट्स को दहशतगर्दों ने दस-दस हजार रुपये दिए और गांधी मैदान में बमों को रखने के लिए कहा।
एनएसजी (कौमी सेक्युरिटी गार्ड) के पास इस बात के पुख्ता सुबूत हैं सभी बम एक ही बनावट व तरीके के हैं। इम्तियाज के बयान से एनएसजी की इस जांच में कामयाबी मिली है कि गांधी मैदान में नसब किये सारे बम इसलिए नहीं फटे क्योंकि उन्हें रखने वालों को सही तरीके से तरबियत नहीं दी गयी थी।
नरेंद्र मोदी की इतवार के दिन पटना में रैली के दौरान हुए सीरियल ब्लास्ट के 48 घंटे बाद मंगल के दिन भी गांधी मैदान में पांच बम बरामद किए गए। जांच के दौरान कौमी सेक्युरिटी गार्ड (एनएसजी) के बम स्क्वायड ने रात आठ बजे तक बमों नकारा कर दिया है।
पहला टाइमर बम सुबह 11 बजे एसके मेमोरियल हाल के दूसरे गेट के सामने अंदर की ओर मैदान की चारदीवारी पर रखा था। जबकि तीन बम एकसाथ टेंट के सामान से ढके मैदान के बीच मिले। इसके इलावा एक और बम गांधी मैदान के सुमाली गेट के पास मैदान के अंदर मिला। सेक्युरिटी ने ज़्यादा ताकत वाले बम बरामद होने के बाद गांधी मैदान की चारदीवारी को सील कर दिया गया है।
मौके पर पुलिस महकमे के आला आफीसर , कौमी जांच एजेंसी (एनआइए) व एनएसजी की टीम, डाग स्क्वायड और बम स्क्वायड भी मौजूद हैं। चारदीवारी से सटी सड़क पर भी गाड़ियों का आना जाना बंद कर दिया गया है और मीडिया वालों को 150 मीटर दूर रोक दिया गया है। इससे पहले एनएसजी दस्ते ने बाउंड्री पर सफेद रंग की प्लास्टिक से ढका बम बरामद किया था। इन बमों में चार को डिफ्यूज करने में एनएसजी टीम को भी पसीना छूट गया।
तकरीबन चार घंटे की कवायद के बाद भी वह बम को डिफ्यूज नहीं कर सकी। उसके बाद बिहारी तकनीक यानी लकड़ी पर केरोसिन झिड़क आग लगा गर्म किया गया तबजा कर बम डिफ्यूज हो सके।
बशुक्रिया: जागरण