दारुल उलूम देवबंद के वरिष्ठ इस्लामिक स्कॉलर ने माफ़ी मांगने को कहा, यह है वज़ह!

मुस्लिम मतदाताओं को मुस्लिम उम्मीदवारों को ही वोट देने वाले पर अपने बयान पर AIMIM प्रमुख असदउद्दीन औवेसी अब अपने ही समुदाय के निशाने पर आ गए हैं। मुस्लिम बुद्धिजीवियों और उलेमा ने ओवैसी के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है।

मुस्लिम बुद्धिजीवियों और उलेमा ने ओवैसी की अपील को खारिज करते हुए कहा कि हिंदुस्तानल में हर कौम के लोग बसते हैं। यहां पर मजहब के आधार पर प्रत्याशी को चुनने की बात करना पूरी तरह अस्वीकार्य है।

जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मौलाना हसीब सिद्दीकी ने कहा कि हिंदुस्तान की पहचान किसी एक कौम से नहीं है। उन्होंने कहा कि मुल्क के संविधान ने सभी को अपनी मर्जी से चुनाव लड़ने और वोट देने का हक दिया है। इसके खिलाफ बात करना सही नहीं है।

मौलाना सिद्दीकी ने कहा कि अगर इस हक को मजहब के आधार पर बांटा जाएगा तो देश में अमनो-अमान खतरे में पड़ जाएगा। उन्होंने असदउद्दीन औवेसी से अपने इस बयान को वापिस लेकर मुल्क से माफी मांगने का आह्वान किया।

वहीं, मुफ्ती अथर कासमी ने कहा कि हिनदुस्तान में हर धर्म के लोग रहते हैं। यहां हर कौम एकता और भाईचारे के साथ रह रही है। ऐसे में वोट के लिए किसी कौम को बांटा जाना गलत है। ऐसे बयान भाईचारे को नुकसान पहुंचाने वाले है। उन्होंने इस बयान को राजनैतिक बताया।

हापुड़ में कथित गौकशी के आरोप में एक मुस्लिम शख्स कासिम की पीट-पाटकर हत्या और उनको बचाने गेए शख्स समीउद्दीन को पीट-पीटकर घायल करने की घटना के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने अपना आपा खो दिया था।

इसके साथ ही इस घटना का राजनीतिक लाभ लेने के लिए भी उन्होंने अपनी चाल चलनी शुरू कर दी है। महाराष्ट्र के बीड में एक रैली को संबोधित करते हुए ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के हापुड़ में हुई मॉब लिंचिंग की निंदा की और कहा कि अगर मुसलमान इस देश में धर्म निरपेक्षता को जिंदा रखना चाहते हैं, तो उन्हें अपने लोगों को वोट देना होगा।

उन्होंने अपनी रैली में मौजूद मुसलमानों को संबोधित करते हुए कहा था कि मैं आप लोगों से गुजारिश करना चाहता हूं कि अगर आप इस देश में धर्मनिर्पेक्षता को जिंदा रखना चाहते हो तो आपको अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना होगा, लड़ना होगा।

इसके लिए आप अपने लोगों को ही वोट दें। अगर मुस्लिम पॉलिटिकल पावर बनते हैं तो भारतीय लोकतंत्र और धर्मनिर्पेक्षता दोनों मजबूत होंगे। ओवैसी के पूरे भाषण में उनका फोकस मुस्लिम वोटर पर ही रहा।

इस दौरान उन्होंने हापुड़ में 18 जून को हुई हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि एक मुसलमान जिसने गाय को नहीं मारा भी नहीं था, उसे पीट-पीटकर मार डाला गया। ये कहां की इंसानियत है।