हिंदूस्तान और चीन ने आज अपने दिफ़ा -ओ- सेयानत(सिक्योरिटी) मुज़ाकरात (बात-चीत) में इज़ाफ़ा से इत्तिफ़ाक़ किया और कहा कि इस बात को यक़ीनी बनाने के लिए कि दोनों ममालिक (देश) 2015 तक 100 अरब अमरीकी डालरी मालियती तिजारत (व्यापार ) के इक़दामात (उपाय) किए जाएंगे ।
वज़ीर-ए-आज़म (प्रधान मंत्री ) मनमोहन सिंह और वज़ीर-ए-आज़म (प्रधान मंत्री ) चीन वैन जया बाउ ने रियो + 20 माहौलयात चोटी कान्फ़्रैंस के दौरान अलिहदा तौर पर 40 मिनट तवील बात चीत के दौरान इन मुज़ाकरात (बात-चीत) को जारी रखने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया ।
मुलाक़ात के बाद अख़बारी नुमाइंदों को मुलाक़ात की तफ़सीलात से वाक़िफ़ करवाते हुए मोतमिद ख़ारिजा (विदेश सचिव)रंजन मथाई ने कहा कि तिजारत (व्यापार ) और मआशी तआवुन (वित्तीय मदद ) के बारे में बात चीत के दौरान वज़ीर-ए-आज़म (प्रधान मंत्री ) मनमोहन सिंह ने चीन को हिंदूस्तान में इनफ़रास्ट्रक्चर में सरमाया कारी की दावत दी ।
मथाई ने ये भी कहा कि चीन को हिंदूस्तान से चावल की बरामद (निर्यात) अनक़रीब शुरू हो जाएगी । उन्हों ने कहा कि दोनों क़ाइदीन ने हिंदूस्तान और चीन दोनों ममालिक (देश) की सरहदें पार करके बहने वाली दरयाओं के मसला पर भी बात चीत की गई । बीजिंग इस सिलसिला में हिंदूस्तान को मालूमात की मुंतक़ली से इत्तिफ़ाक़ किया ।
सरकारी ज़राए के बमूजिब इस इक़दाम ने चीन से एक ताक़तवर इशारा दिया है कि दरयाओं के मसला पर हिंदूस्तान के साथ मालूमात में शराकतदारी (साझेदारी) मुम्किन है । दोनों ममालिक (देश)पहले ही इत्तिफ़ाक़ कर चुके हैं कि दिफ़ा-ओ-सेयानत(सिक्योरिटी) मुज़ाकरात (बात-चीत) जारी रखे जाने चाहिऐं बल्कि इन में इज़ाफ़ा किया जाना चाहीए ।
अमन-ओ-ख़ुशहाली के लिए दोनों में दिफ़ाई शराकतदारी (साझेदारी) और तआवुन होना चाहीए । मनमोहन सिंह ने हिंदूस्तानी बहरी (समुद्री) (नेवी)या (नव सेना) के जहाज़ों के दौरा-ए-चीन का भी ज़िक्र किया ।
सरहदी तनाज़ा के बारे में दोनों ममालिक (देश) के ख़ुसूसी नुमाइंदों (स्पेशल कोरेस्पोंडेंट) से अब तक की पेशरफ़्त का ख़ाका तय्यार करने की ख़ाहिश भी की गई है । और दोनों ममालिक (देश) के मुशतर्का निज़ाम (जोइंट सिस्टम) के क़ियाम से भी इत्तिफ़ाक़ किया गया जिस का गुज़िश्ता साल वज़ीर-ए-आज़म (प्रधान मंत्री ) वैन जया बाउ ने नज़रिया पेश किया था ।
मथाई ने दोनों ममालिक (देश) के इजलास (मीटिंग) को अच्छा इजलास (मीटिंग) क़रार दिया ।