नई दिल्ली : क़ौमी इंसानी हुक़ूक़ कमीशन ने 16 दिसम्बर को गैंग रेप का शिकार हुई लड़की के वालिदेन की शिकायत पर, मरकज़ और दिल्ली हुकूमत को नोटिस जारी किया है जिसमें कहा गया है कि, इस केस में गिरफ़्तार नाबालिग़ मुजरिम जिसे अगले महीने रिहा किया जाना है, को रिहा करना मआशरे के लिए ख़तरा है
कमीशन ने ये क़दम, 16 दिसम्बर 2012 को गैंगरेप के बाद क़त्ल कर दी गयी लड़की के वालिदेन की शिकायत के बाद उठाया है |लड़की के वालिदेन ने शिकायत में कहा है की “जिस नाबालिग़ को कुछ दिनों बाद दिसम्बर में रिहा किया जाना है, उनकी बेटी के साथ सारे मुलजिमों में सबसे ज़्यादा बेरहमी उसी ने की थी | वह उनकी बेटी की मौत का सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदार है” |
उन्होंने ने कहा की “ऐसे अफ़राद आम आदमी की ज़िन्दगी और आज़ादी के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं | ऐसे लोगों के लिय सख्त क़ानून बनाया जाना चाहिए जिसके तहत उन पर नज़र रखी जा सके की ये आम आम आदमी को कोई खतरा या नुकसान न पहुंचा सकें | NHRC ने अपने ब्यान में कहा कि, शिकायत में ये भी कहा गया है कि जरायम की शरह(फिर से जरायम करने का इर्तिकाब ) बहुत ज़्यादा है”|
वालिदेन ने NHRC से इल्तिजा की है कि, हुकूमत से सिफ़ारिश करें वह एक मंसूबा तैयार करें जिसके तहत ऐसे नाबालिग़ मुजरिमों की रिहाई के बाद उनसे शहरियों की हिफाज़त के लिए क़ानून बनाएं और इस बारे में मौजूदा क़ानून को भी सख्ती से लागू करें |
शिकायत में ये भी हवाला दिया गया है कि, इस तरह के सज़ायाफ्ता जिंसी मुजरिमों की रिहाई के बाद मआशरे में उन पर नज़र रखने के लिए अमेरिका कनाड़ा और दीगर मुमालिक में लागू SORNA(जिंसी मुजरिम रजिस्ट्रेशन नोटिफिकेशन एक्ट) क़वानीन की तरह भारत में भी इस तरह का क़ानून लागू किया जाना चाहिय |
कमीशन ने पाया कि इसमें कोई शक नहीं है कि, लड़की के वालिदेन ने अपनी बेटी की इस्मतदरी और क़त्ल के बाद बेइंतेहा दर्द झेला है इसलिए उनकी तरफ से ज़ाहिर किये गये खदशात पर ध्यान देने की ज़रुरत है |