दिल्ली सरकार के इंजीनियर मस्त, लोग त्रस्त, ठेकेदार निरंकुश, उप राज्यपाल की फटकार की दरकार

इंद्र वशिष्ठ, उत्तर पश्चिम दिल्ली के त्री नगर इलाके में सड़कों/ गलियों को बनाने का काम लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन गया। दिल्ली सरकार के अफसर/इंजीनियर और विधायक की नींद शायद कोई हादसा होने के बाद ही खुलेगी।

उप राज्यपाल अनिल बैजल को‌ लोगों की जान जोखिम में डालने वाले ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए ताकि आगे से कोई अफसर ऐसी लापरवाही न बरतें।

ऐसे लापरवाह इंजीनियर और ठेकेदार की सांठगांठ/ मिलीभगत से ही काम समय पर पूरा नहीं होते और लोग हादसे का शिकार हो जाते हैं। हादसे के बाद तो खूब हल्ला मचाया जाता है लेकिन ऐसे हादसे हो ही नहीं इसके लिए ज़रुरी है कि काम की देखरेख करने वाले इंजीनियरों की जवाबदेही तय की जाए।

वैसे जवाबदेही तो हर उस विधायक और पार्षद की भी तय होनी चाहिए जो सरकारी कार्य को कराने का श्रेय ढिंढोरा पीट पीट कर लेते हैं।

दिल्ली सरकार के अफसरों/ इंजीनियरों और

सड़क बनाने वाले ठेकेदारों की लापरवाही के चलते लोगों की जान जोखिम में पड़ जाती हैं।
अफसरों और ठेकेदारों को शाय़द यह मालूम नहीं कि कार्य के दौरान जानबूझ लापरवाही कर लोगों की जान को जोखिम में डालना अपराध की श्रेणी में आता हैं। ऐसा करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती हैं।

एक सड़क जो दो तीन दिन में बन सकती हैं उसे बनाने में 15-20 दिन तक लगाया जा रहा हैं। ऐसा त्री नगर में जगह जगह हो रहा है।

ओंकार नगर में सीजीएचएस डिस्पेंसरी वाली गली को बनाने में ठेकेदार ने 15-20 दिन लगा दिए। ओंकार नगर की गली नंबर 37 को 21 मई को तोड़ दिया गया। कब मलबा हटाया जाएगा और कब सड़क बनाई जाएगी यह बताने वहां न तो कोई इंजीनियर आया और न ही ठेकेदार।

विधायक महोदय भी यह मालूम करने नहीं आते कि लोगों को कितनी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

एक सड़क को तोड़/ खोद तो कुछ ही घंटों में दिया जाता है लेकिन मलबा कई दिनों तक उठाया नहीं जाता।मलबा उठाने के बाद भी कई दिनों तक सड़क को वैसे ही छोड़ दिया जाता हैं। फिर जब ठेकेदार की मर्जी होती हैं तब वह सड़क बनाता है।

जिसमें लोगों खासकर बच्चों और बुजुर्गो को

सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है। मलबे के कारण आने जाने के दौरान लोग गिर जाने से घायल तक हो जाते हैं।

इलाके की पुलिस को भी एहतियात के तौर पर इस ओर ध्यान देना चाहिए। अगर कहीं पर ठेकेदार जानबूझकर लोगों की सुरक्षा और सुविधा से खिलवाड़ कर रहा हैं तो पुलिस को भी अफसरों और ठेकेदार के खिलाफ एहतियाती कार्रवाई करनी चाहिए।

दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के पूर्व डीसीपी एवं वकील लक्ष्मी नारायण राव ने बताया कि किसी भी कार्य का ठेका देते समय उसमें यह शर्त होती है कि ठेकेदार लोगों की सुरक्षा और सुविधा का ख्याल रखेगा।

ठेकेदार की लापरवाही के कारण अगर कोई हादसा हो जाता हैं किसी को चोट लग जाए या मृत्यु हो जाती हैं तो पुलिस ठेकेदार के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर सकती हैं।

ठेकेदार को कार्य स्थल पर बोर्ड लगा कर लोगों को सावधान करना चाहिए। लोगों को आने जाने का रास्ता देना चाहिए। काम कितने दिन में पूरा होगा यह भी बोर्ड पर लिखना चाहिए।

ठेकेदार अगर सुरक्षा और सुविधा का ख्याल नहीं रखता तो उसका ठेका रद्द किया जा सकता हैं इसके अलावा ठेका देने वाले इंजीनियरों/ अफसरों के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की जा सकती है।

दूसरी ओर ठेकेदार नई दिल्ली के वीवीआईपी इलाके में काम के दौरान लोगों की सुरक्षा और सुविधा का पूरा ध्यान रखते हैं वहां पर काम भी युद्ध स्तर पर पूरा करते हैं। इंजीनियर भी वहां खुद खड़े होकर काम कराते हैं। लेकिन शेष दिल्ली के लोगों की सुरक्षा और सुविधा की इंजीनियर और ठेकेदार को बिल्कुल परवाह नहीं होती। इसलिए लोग हादसे का शिकार होते हैं।

वैसे इस प्रकार की परेशानी का सामना दिल्ली में उन सब इलाकों में लोगों को करना पड़ रहा होगा जहां पर भी सड़क बनाने आदि के काम हो रहे हैं।

इस मामले में इलाके के विधायक जितेंद्र तोमर की भूमिका पर भी सवालिया निशान लग जाता हैं। सड़क हो या कोई अन्य कार्य विधायक सरकारी कार्य के शुभारंभ पर कार्यक्रम आयोजित कर कार्य का श्रेय तो इस तरह लेते हैं जैसे वह अपने निजी पैसे से जनता के कार्य करवा कर उन पर अहसान कर रहे हैं। छोटे से छोटे कार्य का भी श्रेय लेने के लिए पोस्टर छपवाने में आम आदमी पार्टी के विधायक जितेंद्र तोमर ने कांग्रेस, भाजपा को भी पीछे छोड़ दिया है।

विधायक पोस्टर छपवा कर, नारियल फोड़कर कार्य का शुभारंभ/ उद्घाटन कर चले जाते हैं। इसके बाद विधायक यह देखने की जहमत नहीं उठाते कि जिस कार्य का उन्होंने ढिंढोरा पीट कर श्रेय लिया है वह कार्य सही तरीके से और सही समय पर पूरा हो रहा है या नहीं। लोगों को उस कार्य के कारण परेशानी/ समस्या का सामना तो नहीं करना पड़ रहा।

विधायक का भी कर्तव्य है कि वह सुनिश्चित करें कि लोगों को उस कार्य के कारण कम से कम असुविधा का सामना करना पड़े। लोगों के जान-माल का कोई नुक्सान नहीं हो।

ठेकेदार और संबंधित अफसर/ इंजीनियर कार्य स्थल पर मौजूद रहे ताकि लोगों की समस्या का तुरंत समाधान किया जा सके।

सड़क बनाई जाए या पानी और सीवर की लाइन बदली जाए। कोई भी सरकारी कार्य दिल्ली सरकार या नगर निगम द्वारा किया जाए तो कार्य स्थल पर एक बोर्ड लगाया जाना चाहिए।जिस पर संबंधित विभाग के अफसरों/ इंजीनियरों और ठेकेदार के अलावा विधायक/निगम पार्षद का मोबाइल नंबर लिखा जाना चाहिए। ताकि असुविधा होने पर लोग उनसे संपर्क कर सके।

इस बोर्ड पर यह भी साफ़ लिखा जाना चाहिए कि ठेकेदार के कारण लोगों को कोई नुक्सान होता है तो उसकी भरपाई करना ठेकेदार की ही जिम्मेदारी है। जैसे सड़क तोड़ने के दौरान कई लोगों के पानी की लाइन आदि टूट जाती हैं।

नियमानुसार पानी या सीवर की लाइन बदलने के बाद ठेकेदार को ही दोबारा लाइन से कनेक्शन जोड़ना चाहिए। लेकिन ठेकेदार ऐसा नहीं करते वह लोगों से कनेक्शन जोड़ने का सामान पाइप आदि मंगवाते हैं।
हर कार्य का ढिंढोरा पीट कर श्रेय लेने वाले विधायक/ निगम पार्षद और संबंधित अफसरों को कार्य स्थल पर बोर्ड पर साफ़ साफ़ यह भी लिखना चाहिए कि ठेकेदार को क्या क्या काम करने के लिए दिए गए है।

विधायक और इंजीनियर द्वारा लोगों को जागरूक करना चाहिए। वह लोगों को बताएं कि सब काम करने के लिए सरकार ठेकेदार को पैसा देती हैं इसलिए उनको ख़ुद कोई सामान नहीं लाना है। अगर ठेकेदार उनसे सामान मंगवाता है तो तुरंत इंजीनियर और विधायक को शिकायत करें।

लेकिन सच्चाई यह है कि विधायक/ पार्षद की सांठगांठ इंजीनियरों और ठेकेदारों से होती है। इसलिए वह लोगों को जागरूक करने का रत्ती भर भी प्रयास नहीं करते।

दिल्ली सरकार के पूर्व कानून मंत्री जितेन्द्र तोमर के खिलाफ एल एल बी की फर्जी डिग्री लेने के आरोप में अदालत में मुकदमा चल रहा है। दिल्ली पुलिस ने 2015 में इस मामले में तोमर को गिरफ्तार किया था।